DMK ने मद्रास हाईकोर्ट में सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए 10% आरक्षण को चुनौती दी
नई दिल्ली: सामान्य वर्ग के नागरिकों के “आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग’’ के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण के बारे में संविधान में नए संशोधन का हवाला देते हुए एम के स्टालिन के नेतृत्व वाले द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) ने आरक्षण के प्रावधान को चुनौती दी है। पार्टी ने शुक्रवार को मद्रास हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की है।
गौरतलब है कि इस महीने की शुरुआत में संसद ने बिल को मंजूरी दे दी थी, जिसे भाजपा के नेतृत्व वाली NDA सरकार ने शुरू किया था, जिसमें नागरिकों की सामान्य वर्ग में गरीबों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण दिया गया था।
DMK पार्टी सचिव आर एस भारती ने जनहित याचिका को चुनौती देते हुए कहा है कि आर्थिक मापदंड किसी भी आरक्षण के लिए आधार नहीं हो सकते। आरक्षण तभी उचित है जब इसका इस्तेमाल समुदायों, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के उत्थान के उद्देश्य से किया जाए।
भारती ने कहा, “लागू किया गया (संवैधानिक) संशोधन मौलिक अधिकारों से छेड़छाड़ की गयी है और संविधान की मूल संरचना को भी बदली गयी है। संविधान में संशोधन गैर-भेदभाव के आधार पर किया जाता है, दोनों अनुच्छेद 14 के के अंग हैं, जिसे अब संविधान की “अछूत’’ बुनियादी विशेषता के मौलिक अधिकार के रूप में जाना जाता है।’’
विपक्षी दलों ने सामान्य वर्ग से गरीबों के लिए आरक्षण प्रदान करने के नरेंद्र मोदी सरकार के कदम को इस साल के लोकसभा चुनाव से पहले “राजनीतिक नौटंकी’’ कहा। हालांकि, उनमें से ज्यादातर ने संसद में बिल का समर्थन किया।
तमिलनाडु में पहले से ही 69 प्रतिशत आरक्षण है जिसे अब आगे नही बढ़ाया जा सकता है। अन्य राज्यों में आरक्षण की सीमा 50 फीसदी है, जिसे आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है।
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