पूर्वी अफ्रीका से टिड्डियों के झुंड अब भारत के बहुत अंदर, फसलों पर दशकों में सबसे बड़ा खतरा
रेगिस्तानी टिड्डे। (फोटो: सिटीजन टीवी केन्या/ट्विटर)
नई दिल्ली: पूर्वी अफ्रीका में उत्पन्न और पाकिस्तान से भारत में घुसे रेगिस्तानी टिड्डियों के झुंड अब भारत के काफी अंदर तक फैल रहे हैं। राजस्थान में प्रवेश करने के बाद, गुजरात, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर टिड्डियों को देखा गया है।
पंजाब में भी हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है। सरकार ने राज्य के सभी जिलों में नियंत्रण कक्ष स्थापित किए हैं और किसानों को टिड्डे देखे जाने की रिपोर्ट देने को कहा है।
एक बयान में कृषि मंत्रालय ने कहा कि राजस्थान में 21 जिले, मध्य प्रदेश में 18, गुजरात में दो और पंजाब में एक जिले ने टिड्डियों के झुंडों को नियंत्रित करने के उपाय किए हैं। बयान में कहा गया है कि अब तक चार राज्यों में 47,308 हेक्टेयर भूमि पर टिड्डियों के झुंडो को नियंत्रण में लाया गया है।
यह लगभग 26 वर्षों में देश में टिड्डियों का सबसे खराब प्रकोप है।
भारत का टिड्डी चेतावनी संगठन, जो कृषि मंत्रालय के अंदर काम करता है, ने कहा कि टिड्डियों का एक बड़ा झुंड का राजस्थान के दौसा से धौलपुर और मध्य प्रदेश के मुरैना तक जाने की संभावना है। LWO ने कहा कि यह झुण्ड दिल्ली को टाल देगा।
यह कहा गया है कि इन कीटों को जीवित रहने के लिए पर्याप्त भोजन नहीं मिल रहा है जिसके वजह से वे तेज हवाओं की मदद से अन्य क्षेत्रों में जा रहे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि टिड्डियों के झुंड रबी फसलों को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा सकते क्योंकि उन्हें पहले ही काटा जा चुका है। मानसून के बाद खरीफ फसलों को कैसे बचाया जाए, इस पर ध्यान केंद्रित किया गया है क्योंकि जून और जुलाई में बारिश के दौरान टिड्डे परिपक्व होंगे और प्रजनन करेंगे।
This time desert locust attack is severe. They have arrived earlier, in huge numbers & now reached till Panna in MP. The changing climate conditions are linked with locust growth in east Africa. The swarms has potential of eating everything & destroy the crops. This from Panna. pic.twitter.com/8aqLa8lA4O
— Parveen Kaswan, IFS (@ParveenKaswan) May 26, 2020
वर्तमान में चल रहा टिड्डी प्रकोप 2018 में रूब अल खली रेत के रेगिस्तान में भारी बारिश के साथ शुरू हुआ, जो अरब प्रायद्वीप के अधिकांश दक्षिणी तीसरे हिस्से में फैला हुआ है। 2019 के वसंत में इन क्षेत्रों से झुंडों का प्रसार शुरू हो गया और जून 2019 तक टिड्डियां उत्तर में ईरान, पाकिस्तान और भारत और दक्षिण में पूर्वी अफ्रीका, विशेष रूप से हॉर्न ऑफ़ अफ्रीका तक फैल गईं।
2019 के अंत तक टिड्डियों के झुंड इथियोपिया, इरिट्रिया, सोमालिया, केन्या, सऊदी अरब, यमन, मिस्र, ओमान, ईरान, पाकिस्तान और भारत में पहुँच गयी।
2020 could get even worse.
— Global Climate (@climateglobe) May 24, 2020
There's a global locust swarm in existence right now -- the worst in many decades -- and India could suffer from a brutal wave in the coming months. A 1 sq km swarm in 1 day can eat as much food as 35,000 people. pic.twitter.com/9raEB4tqwa
रेगिस्तानी टिड्डे (शिस्टोसेरका ग्रेगारिया), छोटी सींग जैसे अंग वाले टिड्डियों के लगभग एक दर्जन प्रजातियों में से एक है। यह आमतौर पर एकान्त जीवन व्यतीत करता है और इस स्थिति पर यह हानिकारक नहीं होता है। लेकिन यह समय समय पर अपने आप को परिवर्तन करता हैं और एकान्त से सामाजिक कीड़ों में बदल जाते हैं। इस रूप में यह कीट अपना रंग बदलता हैं और समूह बनाता हैं जो कि कीटों की उड़ान भरने वाले विशाल झुंडो में विकसित हो सकते हैं – जो न केवल खड़ी फसलों बल्कि अन्य वनस्पतियों को भी नष्ट कर देते हैं।
इस तरह के झुंड में 10 अरब तक टिड्डियां हो सकती हैं और आकार में झुंड सैकड़ों किलोमीटर तक फैल सकती हैं। वे अनुकूल हवाओं में एक दिन में 200 किलोमीटर की दूरी तय कर सकते हैं और खाने और प्रजनन करने के लिए अपने अथक प्रयास में अपने रास्ते पर सभी प्रकार की वनस्पतियों को नष्ट कर सकते हैं। जब वे बड़ी संख्या में पौधों पर उतरते हैं, तब वे अपने वजन से पौधों को नष्ट कर देते हैं। एक पूरी तरह से विकसित और अच्छी तरह से खाया हुआ रेगिस्तान टिड्डी का वजन दो किलोग्राम तक हो सकता है।
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) का अनुमान है कि रेगिस्तान टिड्डी पृथ्वी पर 10 लोगों में से एक की आजीविका को प्रभावित करती है, जो इसे दुनिया का सबसे खतरनाक प्रवासी कीट बनाती है।
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