LAC पर भारत-चीन तनाव: बीजिंग ने लद्दाख में अपनी सैनिक बढ़ाई, नई दिल्ली ने भी कदम मिलाया
पैंगोंग-त्सो। (फोटो अश्विनी चौधरी/अनसप्लेश)
नई दिल्ली: उत्तर में लद्दाख से लेकर उत्तर-पूर्व में सिक्किम तक वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के ऊपर कई स्थानों पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच बढ़ते तनाव दोनों देशों के बीच एक गंभीर समस्या में बदल रही है। इस महीने की शुरुआत में सिक्किम में पहले ही भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हाथापाई भी हुई है।
चीन को इस बात से आपत्ति है कि भारत दौलत ओल्डी बेग के रस्ते के ऊपर एक सामरिक महत्ववाला पुल बना रहा है। दौलत ओल्डी बेग भारतीय वायु सेना के एक प्रमुख अड्डा है और काराकोरम दर्रा के दक्षिण में अंतिम सैन्य चौकी जो उस क्षेत्र में भारतीय सेनाओं के लिए ज़रूरी सामान की आपूर्ति लाती है। अगर यह पुल सहित रास्ता पक्का बन जाता है तो भारत को जल्दी से सैनिकों को जुटाने और क्षेत्र में आपूर्ति भेजने में सक्षम करेगा।
भारत का कहना है कि उसका क्षेत्र पुल से कुछ किलोमीटर आगे तक फैला हुआ है जबकि चीन का कहना है कि पुल भारतीय सेनाओं को उनके क्षेत्र में प्रवेश कराती है।
सीमा बैठक के बिंदुओं पर चीन के साथ मेजर जनरल- और ब्रिगेडियर-स्तरीय सैन्य वार्ता के माध्यम से मुद्दे को हल करने के भारत के प्रयास विफल रहे।
रिपोर्टों में कहा गया है कि पूर्वी लद्दाख में जिन अलग-अलग जगहों पर भारतीय सैनिक लगभग 1,200-1,500 चीनी सैनिकों के साथ आँख से आँख मिलकर कड़ी है वहां चीन ने अपने सैनिकों को समर्थन करने के लिए कुछ 5,000 और सैनिकों को वहां भेजी हैं। यह अतिरिक्त चीनी सैनिक इलाके के पास प्रशिक्षण कर रहे थे।
चीन ने पिछले हफ्ते पैंगोंग-त्सो (“त्सो” का अर्थ झील है) के और सड़क पर और वाहनों और झील में अधिक नावों को लाया है। वे बंकरों का निर्माण भी कर रहे हैं और टकराव (स्टैंड-ऑफ) स्थलों पर अधिक सैनिकों को तैनात करने के लिए बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहे हैं। चीनी हेलीकॉप्टरों को भी इस क्षेत्र में उड़ान भरते देखा गया है।
रिपोर्टों के अनुसार, चीनी सेना वर्तमान में भारत के इलाके में 1 से 3 किलोमीटर अंदर है।
इसके अलावा, एक एनडीटीवी की रिपोर्ट में एक ओपन-सोर्स इंटेलिजेंस विशेषज्ञ से प्राप्त किया गया उपग्रह चित्रों में देखा गया है की पैंगोंग-त्सो के इलाके में जहाँ मई 6 और 7 को को भारत और चीन ने सैनिकों के बीच हाथापाई हुई थी, वहां से मात्र केवल 200 किलोमीटर दूर एक चीनी एयरबेस पर एक बड़ी निर्माण गतिविधि चल रहा है।
भारत ने कहा कि वह उपग्रह, विमान और ड्रोन छवियों के माध्यम से पैंगोंग-त्सो, डेमचोक और गालॉन घाटी में चार से पांच टकराव स्थलों पर चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी द्वारा सुदृढ़ीकरण और किलेबंदी पर नजर रख रहा था।
भारतीय सेना ने सैनिकों को आगे बढ़ाया
भारत ने चीन के साथ इस टकराव में पीछे न हटने और उसके साथ कदम से कदम मिलाने का फैसला किया है। भारतीय सेना ने अपने लेह-स्थित 3 इन्फैन्ट्री डिवीजन को “ऑपरेशनल” क्षेत्रों में आगे स्थानांतरित कर दिया है। इसमें लगभग 10,000-12,000 सैनिक हैं। इस सैनिको के जगह दुसरे स्थानों से सैनिक भेजा गया है।
भारतीय अधिकारियों ने मीडिया को बताया कि भारत ने LAC का उल्लंघन नहीं किया है और विवादित सीमा के अपने भीतर निर्माण गतिविधियों को चला रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत LAC में कोई एकतरफा बदलाव नहीं करने देगा।
अधिकारियों ने कहा कि टकराव के स्थानों पर भारत “सैनिकों, क्षमता और संसाधनों के संदर्भ में” चीन से बराबरी करेगा।
TOI ने एक सरकारी सूत्र के हवाले से कहा, “भारतीय सैनिक अपने आगे के बिंदुओं से एक इंच भी नहीं हिलेंगे, लेकिन ध्यान रखेंगे कि दोनों पक्षों के बीच निर्धारित प्रोटोकॉल के अनुसार PLA सैनिकों को अनावश्यक रूप से उत्तेजित न करें।”
संकट के समय PM ने NSA और CDS से की मुलाकात
इस संकट के बढ़ने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल और रक्षा स्टाफ के प्रमुख (CDS) जनरल बिपिन रावत से इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए मुलाकात की। बैठक से पहले रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने संकट पर चर्चा करने के लिए थल सेना, वायु सेना और नौसेना के प्रमुखों से मुलाकात की और उनसे सलाह परामर्श किया।
इस मुद्दे पर चर्चा के लिए विदेश सचिव की एक अन्य बैठक भी हुई है।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, भारत अब LAC पर चीनी सैनिकों से पीछे न हटते हुए इस समस्या का एक राजनयिक समाधान की तलाश कर रहा है।
मंगलवार को, चीनी दूतावास ने अपनी वेबसाइट पर एक संदेश में भारत से अपने नागरिकों को चीन वापस जाने की पेशकश की।
शी ने अपने सैनिकों को ‘युद्ध की तैयारी’ के लिए कहा
इस बीच, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने चीन के सशस्त्र बलों को सैनिकों के प्रशिक्षण को मजबूत करने और युद्ध के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया। यह करोनवायरस वायरस महामारी का चीन की राष्ट्रीय सुरक्षा पर असर के संदर्व में कहा गया है। शी ने किसी विशेष खतरे का उल्लेख नहीं किया।
चीन के राष्ट्रपति होने के अलावा, शी जिनपिंग चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के अध्यक्ष और चीनी सैन्य आयोग के अध्यक्ष भी हैं।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने बताया कि चीनी राष्ट्रपति ने Covid-19 की लड़ाई में अपनी भूमिका के लिए सेना की सराहना की। उन्होंने कहा कि महामारी ने चीन के सुरक्षा और विकास सहित वैश्विक परिदृश्य को गहरा प्रभावित किया है।
किसी भी विशिष्ट खतरे का नाम लिए बिना शी ने सेना को सबसे खराब स्थिति, परिकल्पना और युद्ध की तैयारियों के लिए योजना बनाने का आदेश दिया जो चीन के राष्ट्रीय संप्रभुता, सुरक्षा और विकास से संबंधित सभी प्रकार की जटिल स्थितियों से तुरंत और प्रभावी ढंग से निपटता है।
उनका भाषण एक ऐसे समय पर दिया गया है जब अमेरिका और चीन के बीच Covid-19, व्यापार और चीन द्वारा ताइवान को पुन: एकीकरण के खतरे को लेकर तनाव चल रहा है है। यह भाषण एक ऐसे समय में भी दिया गया है जब चीन हांगकांग में लोकतंत्र-समर्थक असंतुष्टों पर नकेल कसने के लिए एक नए विवादास्पद सुरक्षा कानून को लागू करने की सोच रहा है। “एक देश, दो प्रणालियाँ” के तहत हांगकांग के नागरिकों को ऐसे कई अधिकार प्राप्त है जो कि चीन में मुख्य भूमि पर रहने वाले नागरिको के पास नहीं हैं।
“एक देश, दो प्रणालियाँ” संवैधानिक सिद्धांतों का एक समूह है, जो क्रमशः 1997 और 1999 में चीन के विशेष प्रशासनिक क्षेत्र (SARs) बनने के बाद से हांगकांग और मकाऊ के शासन का वर्णन करता है।
शी का भाषण इस बीच भी आता है जब भारतीय और चीनी सेना LAC पर कई स्थानों पर आंख से आंख मिलकर खड़े हैं और डोकलाम टकराव के बाद से दोनों देशों के बीच तनाव सबसे ज़्यादा है। 2017 में भूटानी धरती पर 72 दिनों के रिकॉर्ड समय तक चीन और भारत के सैनिक एक दूसरे के आमने सामने खड़े थे।
इस बीच, सिक्किम में नाकू-ला (“ला” का अर्थ दर्रा है) पर, जो कि नाथू-ला सीमा चौकी से अलग है, भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच टकराव समाप्त हो गया है। इसकी शुरुआत मई के पहले सप्ताह में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हाथापाई से हुई थी।
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