मस्जिदों में मुस्लिम महिलाओं के प्रवेश की याचिका पर सुनवाई को SC तैयार  

Shruti Dixit  Tuesday 16th of April 2019 05:07 PM
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मुस्लिम महिलाओं के प्रवेश पर SC करेगा सुनवाई

नई दिल्ली सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिदों में मुस्लिम महिलाओं को नमाज पढ़ने की इजाजत देने के लिए दायर याचिका पर मंगलवार को केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया। जस्टिस एस ए बोबडे और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की पीठ ने एक दंपति की याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया. पीठ ने स्पष्ट किया कि वह सबरीमला मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले की तरह ही इस याचिका पर सुनवाई करेंगे। पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा, ‘‘हम सिर्फ सबरीमला मंदिर मामले में हमारे फैसले की वजह से ही आपको सुन सकते हैं।’’महिलाओं के मस्जिद में प्रवेश को लेकर पुणे के एक मुस्लिम दंपति ने याचिका दायर की है।

इस याचिका में मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम महिलाओं को नमाज पढ़ने की अनुमित होनी चाहिए। इसी याचिका पर मंगलवार को सुनवाई के दौरान अलग-अलग दलीलें दी गईं। एक पक्ष ने बताया कि कनाडा में मस्जिद के अंदर महिलाओं को प्रवेश की इजाजत है। जबकि दूसरी दलील ये दी गई कि सऊदी अरब के मक्का में मस्जिद में  महिलाओं को इजाजत नहीं है।

इन तमाम दलीलों के बीच पीठ ने पूछा कि क्या इस मसले पर अनुच्छेद 14 का इस्तेमाल किया जा सकता है। क्या मस्जिद और मंदिर सरकार के हैं। जैसे आपके घर में कोई आना चाहे तो आपकी इजाजत जरूरी है। कोर्ट ने पूछा कि इस मामले में सरकार की क्या भूमिका है। याचिका पर सुनवाई के दौरान पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील से जानना चाहा कि क्या विदेशों में मुस्लिम महिलाओं को मस्जिद में प्रवेश की इजाजत है।

पीठ ने अधिवक्ता से सवाल किया कि क्या आप संविधान के अनुच्छेद 14 का सहारा लेकर दूसरे व्यक्ति से समानता के व्यवहार का दावा कर सकते हैं। याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि भारत में मस्जिदों को सरकार से लाभ और अनुदान मिलते हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, यह नोटिस केंद्र सरकार के साथ वक्फ बोर्ड और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को भी जारी किया गया है।

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि उन्होंने मस्जिद में महिलाओं के नमाज़ पढ़ने की मंजूरी देने के लिए पुणे के बोपोडी के मोहमदिया जामा मस्जिद को भी पत्र लिखा था लेकिन मस्जिद प्रशासन ने जवाब दिया कि पुणे और अन्य इलाकों में मस्जिद में महिलाओं को प्रवेश की मंजूरी नहीं है। बता दें कि याचिकाकर्ताओं ने इसके बाद दाउद काजा और दारुल उलूम देवबंद को भी पत्र लिखा है।


 
 

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