जवाहरलाल नेहरू ने भारत के लिए UNSC की स्थायी सदस्यता को अस्वीकार कर दिया? सत्य नहीं। 

Team Suno Neta Friday 15th of March 2019 07:11 PM
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जवाहरलाल नेहरू

नई दिल्ली: हिंदू अखबार ने 28 सितंबर को जारी एक समाचार लेख को पुनः प्रकाशित किया जो वित्तमंत्री अरुण जेटली की टिप्पणी के बाद आया। टिप्पणी में जेटली ने कहा था कि भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ही मुख्य गुनहगार थे क्योकि उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में स्थायी सदस्यता के लिए भारत का पक्ष न लेकर चीन का पक्ष लिया था। प्रकाशित हुआ यह आर्टिकल 1955 स्पष्ट करता है कि UNSC द्वारा भारत को स्थायी सदस्यता का कोई औपचारिक या अनौपचारिक प्रस्ताव नहीं दिया गया था।

तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 27 सितंबर, 1955 को लोकसभा में डॉ जे एन पारेख द्वारा उठाए गए प्रश्न क्या भारत ने UNSC द्वारा अनौपचारिक रूप से पेश की गई सीट से इनकार कर दिया? का उत्तर देते हुए कि भारत ने स्पष्ट नहीं किया था UNSC द्वारा स्थायी सदस्यता के लिए प्रस्ताव दिया गया था। इसलिए सीट छोड़ने का कोई सवाल ही नहीं उठता है।

लेख में नेहरू के हवाले से लिखा गया है, “इस तरह का कोई प्रस्ताव औपचारिक या अनौपचारिक नहीं है। कुछ अस्पष्ट संदर्भ इसके बारे में प्रेस में दिखाई दिए हैं जिनकी वास्तव में कोई नींव नहीं है। सुरक्षा परिषद की संरचना संयुक्त राष्ट्र चार्टर द्वारा निर्धारित की गई है, जिसके अनुसार कुछ निश्चित राष्ट्रों के पास स्थायी सीटें हैं।”

“चार्टर के संशोधन के बिना इसमें कोई परिवर्तन या परिवर्धन नहीं किया जा सकता है। इसलिए एक सीट की पेशकश का कोई सवाल ही नहीं है और भारत इसे छोड़ रहा है। हमारी घोषित नीति संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता के लिए योग्य सभी देशों के प्रवेश का समर्थन करना है।”

गुरुवार को जेटली ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को कई ट्वीट्स की एक श्रृंखला में जवाब देते हुए कहा था: “मूल गलती कश्मीर और चीन के मामलें में एक ही व्यक्ति ने की थी। जेटली ने नेहरू द्वारा राज्यों के तत्कालीन मुख्यमंत्रियों को भेजे गए 1955 के पत्र का हवाला दिया। उन्होंने फिर बयानबाजी करते हुए कहा: “क्या कांग्रेस अध्यक्ष हमें बताएंगे कि मूल दोषी कौन था?”


 
 

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