जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दलों ने किया सत्यपाल मालिक के PRC प्रस्ताव का विरोध
नई दिल्ली: अस्थायी बस्तियों को स्थायी निवास प्रमाणपत्र (PRC) प्रदान करने में प्रक्रियात्मक परिवर्तन लाने के लिए गवर्नर सत्य पाल मलिक के तहत बनी जम्मू-कश्मीर प्रशासन की योजना एक विवाद के घेरे में आ गया हैं जब इसके विरोध में राजनीतिक दलों ने 2008 की तरह आंदोलन करने की चेतावनी दे डाली। जम्मू-कश्मीर को एक संवेदनशील राज्य कहते हुए राजनीतिक दलों ने PRC नियमों में किए गए किसी भी बदलाव का विरोध किया है।
2008 में तत्कालीन मुख्यमंत्री ने भूमि हस्तांतरण के लिए एक अवांछित आदेश जारी किया था जिसकी वजह से कश्मीर भर में एक सार्वजनिक विद्रोह हुआ था और परिणामस्वरुप तत्कालीन सरकार को आदेश वापस लेना पड़ा। पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने एक स्थानीय समाचार एजेंसी को बताया, “राज्यपाल द्वारा PRC नियमों और जम्मू-कश्मीर बैंक पर इसी तरह के अवांछित आदेश जारी किए हैं अगर तत्काल दोनों आदेशों को वापस नहीं लिया जाता है तो मैं 2008 की तरह सार्वजनिक विद्रोह करने का गवर्नर के प्रशासन को चेतावनी देती हूं।”
पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने गवर्नर मलिक को लिखा: “हम इस समय आपको पत्र लिखने के लिए बाध्य हैं क्योंकि आप स्थायी निवासी प्रमाणपत्र नियमों में बदलाव कर रहे हैं। हमारी पार्टी की राय है कि यह राज्य की जनसंख्या को अलग थलग करने का प्रयास है,जो जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति के लिए हानिकारक है।”
पत्र के जवाब में गवर्नर की ओर से कहा गया: “राज्य प्रशासनिक परिषद एकीकृत संस्थानों और प्रक्रियाओं के काम में बदलाव ला रही है, जो की संवैधानिक है। इसका विरोध करना लोकतंत्र की भावना और संविधान के खिलाफ है।”
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