मालेगांव ब्लास्ट केस: बॉम्बे हाईकोर्ट ने गवाहों के बयानों की फोटोकॉपी का उपयोग करने पर NIA के आदेश पर रोक लगाई 

Team Suno Neta Thursday 21st of February 2019 01:57 PM
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सितंबर 2008 में मालेगांव में हुए एक बम धमाके की जगह।

नई दिल्ली: बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को 2016 के मालेगांव विस्फोट मामले से संबंधित गवाहों के बयानों की फोटोकॉपी, जो 2016 में गायब हो गए मूल बयानों के स्थान पर द्वितीयक साक्ष्य के रूप में थे, का उपयोग करने के लिए विशेष राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी।

न्यायमूर्ति ए एस ओका और न्यायमूर्ति ए एस गडकरी की खंडपीठ इस मामले के एक अभियुक्त समीर कुलकर्णी द्वारा दायर की गई अपील पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में विशेष NIA कोर्ट के फैसले को चुनौती दी जिसमे एजेंसी को रिकॉर्ड पर लापता गवाहों के बयान की फोटोकॉपी का उपयोग करने और उसी के समर्थन में साक्ष्य का नेतृत्व करने की अनुमति दी गयी थी।

अप्रैल, 2016 में ट्रायल कोर्ट को सूचित किया गया था कि मूल दस्तावेज में आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज किए गए 13 गवाह बयान और मकोका के तहत दर्ज अभियुक्तों के दो बयान नहीं थे। जनवरी, 2017 में कोर्ट  ने NIA को उपलब्ध मूल सबूतों के स्थान पर द्वितीयक सबूत के रूप में उपयोग करने की अनुमति दी थी।

मुस्लिम बहुल इलाके मालेगाँव में सितंबर 2008 के सिलसिलेवार विस्फोटों में छह लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल भी हो गए थे।


 
 

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