स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के पर्यटन को बढ़ाने के लिए सरदार सरोवर बाँध से मगरमच्छों की किया जा रहा है विस्थापित  

Team Suno Neta Friday 25th of January 2019 02:43 PM
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मगरमच्छ को ले जाते हुए वन विभाग के कर्मचारी (फोटो सौजन्य: इंडियन एक्सप्रेस 

नई दिल्ली: स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए गुजरात वन विभाग ने नर्मदा पर सरदार सरोवर बांध परिसर में दो तालाबों से मगरमच्छों को बाहर निकालना शुरू कर दिया है, जिससे पानी में उतरने वाले जहाजों के लिए रास्ता बनाया जा सके, ताकि स्टैच्यू ऑफ यूनिटी में पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सके। पिछले मंगलवार तक 15 मगरमच्छों को निकाला जा चुका था। बांध परिसर में एक दूसरे से सटे दो तालाबों में लगभग 500 मगरमच्छ हैं। नर्मदा के मगरमच्छ (Crocodylus palustris) वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की अनुसूची 1 के अंतर्गत आते हैं, जो सबसे लुप्तप्राय प्रजातियों की श्रेणी में आते हैं।

गुजरात के शहरों को सरदार पटेल प्रतिमा स्थल से जोड़ने के लिए नागरिक उड्डयन विभाग और गुजरात सरकार के अधिकारियों वाली एक बहु-स्तरीय समिति ने Pond 3 को साफ़ कराया था। स्थानीय स्तर पर इसे ‘मगर तलाव (मगरमच्छ का तालाब) कहा जाता है। मछली को चारा के रूप में पिंजरों में रख कर वन विभाग ने मगरमच्छों को निकालना शुरू कर दिया है। मगरमच्छ अब लगभग तालाब में 10 फीट के नीचे है। इस काम  खत्म करने के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नही की गयी है।

नर्मदा के वन संरक्षक के सी कुमार ने कहा, “हम Pond 3 और Pond 4 के मगरमच्छों को निकाल रहे हैं। ये दोनों तालाब साइट (स्टैच्यू ऑफ यूनिटी) के करीब हैं। हमने इस काम के लिए अधिकारियों की 10 टीमें लगाई हैं। करीब एक हफ्ते से मगरमच्छ वन विभाग की पकड़ में हैं। पकड़ने के बाद उन्हें उनके प्राकृतिक आवास में डालने की संभावना पर विचार करने के बाद उन्हें सरदार सरोवर नर्मदा बांध के जलाशय में डालने का निर्णय लिया गया। वहां ज्यादातर मगरमच्छों को डाला जाएगा।”

भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) और नागरिक उड्डयन विभाग द्वारा पिछले साल अक्टूबर में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के उद्घाटन के बाद सीप्लेन सेवा (समुद्री) पर एक रिपोर्ट तैयार की थी। केंद्र में मोदी सरकार ने राज्य में इस सेवा को प्रदान करने का वादा किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र ने दिसंबर 2017 में अहमदाबाद में साबरमती नदी से अंबाजी में धरोई बांध तक एक सीप्लेन यात्रा (समुद्री) का गुजरात विधानसभा चुनावों में वादा किया था।

चट्टानी-बिस्तर Pond 3 को आधिकारिक रूप से पंचमूली झील कहा जाता है।  इस झील को सीप्लेन टर्मिनल बनाने के लिए आदर्श के रूप में पहचाना गया था। क्योकि एक सीप्लेन के लिए न्यूनतम 900-मीटर चौड़ाई और 6-फीट की गहराई तक जल निकाय की आवश्यकता होती है। गुजरात में वाटर एयरोड्रोम के विकास के लिए शॉर्टलिस्ट किए गए अन्य स्थल पलिताना और धारोई डैम हैं। अधिकारियों ने कहा कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय क्षेत्रीय कनेक्टिविटी के लिए उड़ान पहल के तहत परिचालन को वर्गीकृत करने पर भी विचार कर रहा है।


 

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