RBI को बड़ा झटका, सुप्रीम कोर्ट ने 12 फरवरी का सर्कुलर असवैंधानिक ठहराया
नई दिल्ली रिजर्व बैंक को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा झटका दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने आरबीआई का 12 फरवरी का सर्कुलर असवैंधानिक करार दिया है। इसके जरिए पावर कंपनी, शुगर और इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनियों को राहत मिलेगी। 2 जज की बैंच ने ये फैसला सुनाया है। ये सर्कुलर बैंकों के खराब कर्ज से जुड़ा हुआ था। रिजर्व बैंक ने 12 फरवरी 2018 को ये सर्कुलर जारी किया था। इसका मकसद फंसे कर्ज के मामलों को सुलझाना था। इस सर्कुलर में कर्ज में फंसी कंपनियों को दिवालिया घोषित करने की बात कही गई थी। इसके चलते वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक में तनातनी भी बढ़ी थी। इस सर्कुलर में 1 दिन का भी डिफॉल्ट किया तो कंपनी के कर्ज को एनपीए में डालने की बात थी।
सुप्रीम कोर्ट ने आरबीआई के सर्कुलर को गैर-संविधानिक और अल्ट्रा विरस बताया है। इसका मतलब यह है कि आरबीआई ने अपने कानूनी अधिकारों से आगे जाकर काम किया। एस्सार पावर, जीएमआर एनर्जी, केएसके एनर्जी, रत्तन इंडिया पावर और एसोसिएशन ऑफ पावर प्रोड्यूसर्स ने आरबीआई के सर्कुलर को कोर्ट में चनौती दी थी।
ये था आरबीआई का सर्कुलर -
इसके मुताबिक एक दिन का भी डिफॉल्ट करने पर कंपनी के कर्ज को एनपीए में डालने की बात थी। इसके तहत बैंक को 180 दिन की डेडलाइन खत्म होने के 15 दिन के भीतर आईबीसी कोड के तहत कंपनी के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने की अर्जी देनी होती है। इस सर्कुलर से आरबीआई का लोन रिजोल्यूशन मैकेनिज्म भी वापस ले लिया गया था। बैंक पहले कॉरपोरेट डेट रिस्ट्रक्चरिंग और स्ट्रैटजिक डेट रिस्ट्रक्चरिंग के जरिए केस सुलझाते थे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बैंक अब आईबीसी के बाहर भी केस निपटा सकेंगे।
आरबीआई के सर्कुलर से इंफ्रास्ट्रक्चर, पावर, आयरन, स्टील और टेक्सटाइल सेक्टर को राहत मिलेगी। सबसे ज्यादा एनपीए इन्हीं सेक्टर में हैं। 11 सितंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने आरबीआई के सर्कुलर पर स्थास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था। कोर्ट ने सभी पेंडिंग केस अपने पास ट्रांसफर करवा लिए थे। 7 फरवरी 2019 को नए गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि सर्कुलर में बदलाव की कोई योजना नहीं है। आरबीआई का एनपीएस जुड़ा सर्कुलर पिछले गवर्नर उर्जित पटेल और सरकार के बीच विवाद का मुद्दा भी था। उर्जित पटेल ने पिछले साल दिसंबर में इस्तीफा दे दिया था।
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