100 से अधिक फिल्मकारों ने की लोकसभा चुनाव में BJP को वोट ना देने की अपील
नई दिल्ली आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी के लिए तरह-तरह का विरोध शुरू हो गया है। यह खेमा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ तो है ही, साथ ही बीजेपी को भी वोट ना देने की अपील देशभर से कर रहा है। अब बीजेपी को वोट ना देने के लिए 100 से भी ज्यादा फिल्मकारों ने देश के लोगों से अपील की है। इन फिल्मकारों के अनुसार बीजेपी ने सत्ता में आने के बाद धार्मिक धुव्रीकरण किया है और देश में नफरत की राजनीति को बढ़ाया है।
एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर की मानें तो इन सभी फिल्मकारों ने ‘लोकतंत्र बचाओ मंच’ के तहत एकजुट होकर लोगों से बीजेपी को वोट न देने की गुज़ारिश की है। इन फिल्मकारों में आनंद पटवर्धन, दीपा धनराज, देवाशीष मखीजा, एसएस शशिधरन, सुदेवन, गुरविंदर सिंह, पुष्पेंद्र सिंह, कबीर सिंह चौधरी, अंजलि मोंटेइरो, प्रवीण मोरछले और उत्सव के निर्देशक और संपादक बीना पॉप जैसे बड़े स्वतंत्र फिल्मकारों के नाम शामिल हैं। इन सभी ने अपना यह बयान शुक्रवार को ‘आर्टिस्ट यूनाइट इंडिया डॉट कॉम’ नाम की एक वेबसाइट पर डाला है।
फिल्मकारों का मत है कि भाजपा के शासन में ध्रुवीकरण और नफरत की राजनीति में बढ़ोतरी हुई है। साथ ही, मुसलमानों-दलितों-किसानों को हाशिए पर डाल दिया गया है। इनके अलावा सांस्कृतिक और वैज्ञानिक संस्थानों को लगातार नुकसान पहुंचाया गया। वहीं, इन्होंने अपने बयान में भाजपा और इसके सहयोगियों पर अपने चुनावी वादे को पूरा न करने का भी आरोप लगाया है। इनका आरोप है कि मॉब लिंचिंग (भीड़ द्वारा हत्या) और गौरक्षा के जरिए देश को सांप्रदायिक आधार पर तोड़ा जा रहा है।
एयूआई डॉट कॉम पर अपलोड किये गए अपने बयान में फिल्कारों ने यह भी कहा है कि देश में कोई भी व्यक्ति या संस्था सरकार के किसी फैसले या बयान पर अपनी असहमति जताता है तो उसे राष्ट्र विरोधी या देशद्रोही जैसी संज्ञा दे दी जाती हैं। फिल्मकारों के बयान में यह भी कहा गया है कि सत्ताधारी पार्टी देशभक्ति जैसे शब्दों को अपना वोट बैंक बढ़ाने के लिए इस्तेमाल कर रही है और साथ ही देश के सशस्त्र बलों को अपनी रणनीति में शामिल करके राष्ट्र को युद्ध में उलझाने की कोशिश कर रही है। आगामी लोकसभा चुनावों में बीजेपी के लिए 'प्रबुद्धजनों' द्वारा पेश की जा रही असहमति से भी निपटने की चुनौती होगी। इससे पहले साहित्यकार व फिल्मकार भी बीजेपी के खिलाफ अभियान चलाकर अपने-अपने अवॉर्ड लौटा चुके हैं, जिस पर लोगों की मिली-जुली राय सामने आई थी।
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