पश्चिम बंगाल के बाद अब देश के कई शहरों में डॉक्टरों का हड़ताल जारी, मरीज परेशान
नई दिल्ली: बंगाल में डॉक्टरों की हड़ताल का असर अब देश के अन्य हिस्सों में भी दिखना शुरू हो गया है। दिल्ली, यूपी, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र समेत देश के कई हिस्सों में डॉक्टरों ने काम करने से इनकार कर दिया है। दरसल कोलकाता के नील रतन सरकार अस्पताल में जूनियर डॉक्टरों के साथ मारपीट की घटना से चिकित्सा संघों में गुस्सा है जिसका बड़े पैमाने पर असर देखने को मिल रहा है।
कई शहरों में डॉक्टर सड़क पर उतर कर प्रदर्शन कर रहे हैं और नारेबाजी कर रहे हैं। डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से मरीजों पर संकट टूट पड़ा है। राजधानी दिल्ली में दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन ने हड़ताल बुलाई है जिसका असर AIIMS जैसे बड़े अस्पतालों में देखने को मिल रहा है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के बाहर मरीजों के परिजन परेशान घूम रहे हैं।
AIIMS के डॉक्टरों ने हड़ताल के तीसरे दिन दिल्ली में केंद्रीय स्वास्थ्यमंत्री हर्षवर्धन से मुलाकात भी की और अपनी मांगों के बारे में बताया। बंगाल में डॉक्टरों की हड़ताल के लिए ममता बनर्जी सरकार को दोषी ठहराते हुए केंद्रीय स्वास्थ्यमंत्री हर्षवर्धन ने उनसे इसे प्रतिष्ठा का मुद्दा नहीं बनाने की अपील की। उन्होंने देश भर के डॉक्टरों को भी आश्वासन दिया कि सरकार उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। हर्षवर्धन ने डॉक्टरों से अपील की है कि हड़ताल के दौरान आपातकालीन सेवाओं को प्रभावित नहीं किया जाए। अपने अधिकारों के लिए कोई भी आवाज उठा सकता है, लेकिन उससे समाज या जनता को नुकसान नहीं होना चाहिए। पश्चिम बंगाल जैसी घटनाएं दोबारा न हो इसके लिए जल्द ही सभी राज्यों के साथ बातचीत की जाएगी।
दिल्ली अलावा मुंबई में भी डॉक्टरों ने काम करने से इनकार कर दिया है। मुंबई के डॉक्टरों का कहना है कि वह साइलेंट प्रोटेस्ट करेंगे। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में भी डॉक्टर हड़ताल कर रहे हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के सदस्यों ने केरल के राजधानी तिरुवनन्तपुरम में भी प्रदर्शन किया। छत्तीसगढ़ के राजधानी रायपुर के डॉ भीमराव आम्बेडकर मेमोरियल हॉस्पिटल में डॉक्टरों ने “हमें न्याय चाहिए” के नारे लगाए। नागपुर में भी गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज के बाहर प्रदर्शन किया गया।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) से जुड़े एक डॉक्टर ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि आज AIIMS, सफदरजंग के अलावा निजी क्लिनिक-नर्सिंग होम भी बंद रहेंगे। AIIMS में नए मरीजों का इलाज नहीं होगा, जबकि सफदरजंग में केवल इमर्जेंसी चलेगी। पश्चिम बंगाल में एनआरसी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल द्वारा उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज, सिलीगुड़ी में डॉक्टरों ने प्रोटेस्ट का आयोजन किया। हड़ताल कर रहे डॉक्टरों को गुरुवार दोपहर दो बजे तक काम पर लौटने के लिए ममता बनर्जी ने धमकी भरे लहजे में अल्टिमेटम दिया था। जिसे डॉक्टरों ने नहीं माना। डॉक्टरों का कहना है मुख्यमंत्री ने जो कहा उन्हें उसकी उम्मीद नहीं थी और सरकारी अस्पतालों में सुरक्षा संबंधी मांग पूरी होने तक हड़ताल जारी रहेगी।
इस बीच यह भी खबर है कि पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों में से 80 ने बड़ा कदम उठाते हुए इस्तीफा दे दिया है। वो जूनियर डॉक्टरों के साथ हुई मार-पीट का विरोध कर रहे हैं। यही नहीं डॉक्टरों की इस हड़ताल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को अपने ही परिवार के सदस्यों और उनके सबसे करीबी मंत्री सहयोगी और सहकर्मी की बेटी की आलोचना झेलनी पड़ रही है। इस हड़ताल में दो युवा डॉक्टर – आबेश बनर्जी, जो मुख्यमंत्री के भतीजे हैं, और कोलकाता के मेयर और राज्य की मंत्री फिरहाद हकीम की बेटी शब्बा हकीम भी शामिल हो गई हैं, जिन्होंने ममता बनर्जी की कड़ी आलोचना की है।
यह मामला इतना बढ़ गया है कि अदालत तक पहुंच गया है। हड़ताल को लेकल कलकत्ता हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। इसपर कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सरकारी अस्पतालों के जूनियर डॉक्टरों को हड़ताल खत्म करने के लिए अंतरिम आदेश देने से इनकार कर पश्चिम बंगाल सरकार से कहा डॉक्टरों को वापस काम पर आने के लिए मनाए।
वही दूसरी ओर राजनीतिक गलियारों में भी हलचल तेज़ हो गयी है। आरोप प्रत्यारोप का दौर चल पड़ा है। मुख्यमंत्री ने प्रदर्शनकारियों पर बरसते हुए विपक्षी भारतीय जनता पार्टी और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी पर उन्हें भड़काने और मामले को सांप्रदायिक रंग देने का आरोप लगाया।
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