मेघालय: सुप्रीम कोर्ट ने खदान में फंसे खनिकों के बचाव अभियान पर असंतोष व्यक्त किया 

Team Suno Neta Thursday 3rd of January 2019 06:03 PM
(0) (0)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को 13 दिसंबर से अवैध कोयला खदान में फंसे खनिकों के लिए चिंता व्यक्त करते हुए मेघालय सरकार से पूछा है कि वह अब तक खनन करने वालों को बचाने में सफल क्यों नहीं हुई।

न्यायमूर्ति ए के सीकरी और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की दो-न्यायाधीश पीठ ने कहा: “हम संतुष्ट नहीं हैं।’’ यह जीवन और मृत्यु का सवाल है कि पिछले कई दिनों में क्या हुआ है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि क्या वे (फंसे खनिक) सभी मृत हैं, कुछ जीवित, कुछ मृत या सभी जीवित हैं हम भगवान से प्रार्थना करते हैं कि वे सभी जीवित हों।

पीठ ने कहा, “खदान में फंसे खनिकों के लिए यह जीवन और मृत्यु का सवाल है।’’ एक वकील आदित्य एन प्रसाद ने इस पर एक जनहित याचिका (जनहित याचिका) दायर की थी,जिसके जवाब में कोर्ट सुनवाई कर रही थी।

मेघालय सरकार ने कोर्ट को सूचित किया है कि फंसे खनिकों को बचाने के लिए 72 NDRF कर्मी, 14 नौसेना कर्मी और कोल इंडिया के कर्मचारी काम कर रहे हैं। केंद्र के समर्थन से बचाव अभियान के लिए मेघालय सरकार द्वारा सभी आवश्यक उपाय किए गए हैं। पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को भी शुक्रवार को जवाब दाखिल करने का आदेश दिया। शीर्ष अदालत ने सरकार से यह भी पूछा है कि उसने बचाव अभियान के लिए सेना की मदद क्यों नहीं मांगी है?

13 दिसंबर को मेघालय के पूर्वी जयंतिया हिल्स जिले ल्येटिन नदी का पानी  कोयला खदान में भर जाने से उसमे 15 खनिक फंस गए थे। खदान उस क्षेत्र की कई अवैध कोयला खदानों में से एक है, जिसे उनके संकीर्ण और गहरे गड्ढों के कारण “चूहा छेद’’ भी कहा जाता है। भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना दल भी खदान में बचाव के प्रयासों में NDRF के साथ बचाव कार्य में शामिल हो गए हैं।


 

रिलेटेड

 
 

अपना कमेंट यहाँ डाले