मराठा आरक्षण: कमिशन अंतिम रिपोर्ट 15 नवंबर तक देगी, महाराष्ट्र सरकार ने हाई कोर्ट से कहा
नई दिल्ली: महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार को बॉम्बे उच्च न्यायालय को सूचित करते हुए कहा है कि पिछड़े वर्ग के लिए महाराष्ट्र राज्य आयोग (Maharashtra State Commission for Backward Classes) मराठा आरक्षण पर अपनी अंतिम रिपोर्ट पूरी कर के 15 नवंबर तक सरकार को जमा करने का प्रयास करेगी। इस कमीशन को पिछले जनवरी में राज्य सरकार के द्वारा स्थापित की गया था। इस कमीशन के अनुसार सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक स्थिति में मराठा समुदाय को 16 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया जायेगा।
जस्टिस आर एम सावंत और जस्टिस के के सोनवणे की एक बेंच ने मराठा आरक्षण पर प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है। कार्यकर्ता विनोद पाटिल के द्वारा दायर याचिका की तरफ से उपस्थित वकील लीना पाटिल ने समुदाय के आरक्षण के मुद्दे पर राज्य से समयबद्ध कार्य करने को आग्रह किया है।
महाराष्ट्रा के पूर्व महाधिवक्ता (advocate general) रवि कदम ने कहा कि मराठा समुदाय से संबंधित 45,000 से अधिक परिवारों के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है। आयोग द्वारा नियुक्त पांच एजेंसियों द्वारा आकड़ें एकत्र किए गए थे।
हाई कोर्ट ने इस मामले को 4 हफ्ते के लिए स्थगित कर दिया है अब 9 अक्टूबर को इस मामले पर दुबारा सुनवाई होगी। सामाजिक न्याय विभाग के एक संयुक्त सचिव ने अपने हलफनामे में अब तक प्रगति की गणना की और कहा, विभिन्न स्थानों पर आयोग के द्वारा आयोजित सार्वजनिक सुनवाई के दौरान बड़े पैमाने पर लिखित में आवेदन प्राप्त हुए हैं। पुणे में आयोजित 3-4 अगस्त की बैठक में आयोग ने सामाजिक विज्ञान, शिक्षा और सांख्यिकी के क्षेत्र में विशेषज्ञों का एक पैनल गठित किया, जिसमें प्रोफेसर ओमप्रकाश जाधव, यशवंतराव चव्हाण महाराष्ट्र ओपन यूनिवर्सिटी (YCMOU) के प्रोफेसर अंबदास मोहित और भूतपूर्व वाईस चांसलर और सामाजिक वैज्ञानिक प्रोफेसर सुधीर गावने।
प्राप्त आवेदन के वैज्ञानिक विश्लेषण का काम इस पैनल को सौंपा गया है।
हाई कोर्ट ने आगे बताया कि विशेषज्ञों द्वारा तैयार एक रिपोर्ट पर पुणे में 10-11 सितंबर को निर्धारित एक बैठक में चर्चा की जाएगी। कमीशन अब सभी सूचनाओं की पूरी समीक्षा करेगी और यह पता लगाएगा कि क्या समुदाय के पास सार्वजनिक रोजगार और पेशेवर शिक्षा में पर्याप्त प्रतिनिधित्व है।
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