कमलनाथ बनेंगे मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री, कांग्रेस आलाकमान ने लगाई उनके नाम पर मुहर
नई दिल्ली: मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री पद के लिए जारी सस्पेंस आखिरकार ख़त्म हो गया। कमलनाथ मध्यप्रदेश के अगले मुख्यमंत्री का कार्यभार संभालेंगे। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कमलनाथ 15 दिसंबर को शपथ ले सकते हैं। CM पद के लिए पिछले दो दिनों से चर्चा चल रही थी आखिरकार भोपाल में विधायक दल की बैठक के बाद कमलनाथ के नाम पर मुहर लगायी गयी।
मध्यप्रदेश ,राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को बहुमत मिलने के बाद बृहस्पति को दिनभर दिल्ली में राहुल गांधी के साथ मुख्यमंत्री के नाम पर चर्चा चलती रही। पहले भोपाल में पार्टी नेताओं के साथ लंबी बात हुई। उसके बाद कमलनाथ और सिंधिया को दिल्ली बुला लिया गया। गुरुवार को दिल्ली में राहुल गांधी के साथ कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बैठक की।बैठक में सोनिया गाँधी और प्रियंका गाँधी ने भी हिस्सा लिया। जिसमे सीएम पद को लेकर सहमति बनी। हालांकि बैठक के बाद राहुल के घर से बाहर आए कमलनाथ और सिंधिया ने कहा कि सीएम के नाम का ऐलान भोपाल में होगा।
मध्यप्रदेश के भावी मुख्यमंत्री कमलनाथ ने विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद अपने सम्बोधन में कहा,“यह पद मेरे लिए मील पत्थर है। क्योंकि इसी दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने मुझे छिंदवाड़ा की जनता के सुपुर्द किया था। इसके लिए भी मेरी कोई मांग नहीं थी। अब अगला समय चुनौती का है। सभी कार्यकर्त्ता मिल जुलकर चुनौतियों से निपटने की कोशिश करेंगे।”
छिंदवाड़ा से सांसद कमलनाथ (72) ही मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रूप में सोमवार को भाेपाल के लाल परेड ग्राउंड पर शपथ लेंगे। विधानसभा चुनाव से करीब छह महीने पहले कमलनाथ ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का जिम्मा संभाला था। कांग्रेस ने इस फैसले के साथ यह भी साफ कर दिया कि राज्य में कोई उपमुख्यमंत्री नहीं होगा। पहले यह माना जा रहा था कि कमलनाथ के सीएम बनने की स्थिति में सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया को डिप्टी सीएम बनाया जा सकता है।
72 साल के कमलनाथ का जन्म यूपी के कानपुर में हुआ। देहरादून के मशहूर दून स्कूल में उन्होंने स्कूली शिक्षा हासिल की। इसके बाद कोलकाता के सेंट जेवियर कॉलेज से बीकॉम किया। अर्थशास्त्र के छात्र रहे कमलनाथ की पहचान एक बड़े कारोबारी की भी है। सियासत उनकी मध्य प्रदेश से शुरू हुई। यहां कि छिंदवाड़ा सीट से वो अब तक 9 लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। सबसे पहले 1980 में जीते। 1991 में पहली बार केंद्र में मंत्री बने। फिर 1995-96 में कपड़ा मंत्रालय संभाला। कांग्रेस महासचिव भी रहे। 2004 में यूपीए की पहली सरकार में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की अहम जिम्मेदारी संभाली। UPA के 2009 के दूसरे कार्यकाल में वो सड़क परिवहन मंत्री बने। हालांकि, 2011 में उन्हें अर्बन डेवलपमेंट मिनिस्ट्री दी गई। इसके साथ ही 2012 में उन्हें संसदीय कार्यमंत्री की अतिरिक्त जिम्मेदारी भी सम्हाली।
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