JNU राजद्रोह केस में पुलिस ने गुप-चुप ढंग से चार्जशीट दाखिल की: दिल्ली सरकार  

Shruti Dixit  Friday 5th of April 2019 12:58 PM
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(बाएं से) कन्हैया कुमार, अर्निबान भट्टाचार्य और उमर खालिद

नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) राजद्रोह मामले में दिल्ली सरकार ने शुक्रवार को कोर्ट से कहा कि पुलिस ने जल्दबाजी में और गुप-चुप तरीके से चार्जशीट दाखिल की है। कन्हैया कुमार और अन्य के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी देने के बारे में फैसला लेने के लिए सरकार को एक महीने से ज्यादा समय लगेगा। दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट दीपक शहरावत की कोर्ट में आरोप लगाया कि पुलिस ने सक्षम अधिकारी से मंजूरी लिए बगैर बेहद जल्दबाजी में और गुपचुप तरीके से चार्जशीट दाखिल कर दी। इससे पहले कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया था कि वह मुकदमा चलाने की मंजूरी देने के बारे में स्पष्ट समय सीमा के साथ उचित जवाब दाखिल करे।

सुनवाई के दौरान कोर्ट में जवाब दाखिल करते हुए दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि एक महीने के भीतर चार्जशीट को अनुमति देने पर निर्णय ले लिया जाएगा। इस दौरान स्टैंडिंग काउंसिल से राय ली जाएगी। दिल्ली सरकार ने अपने वकील के जरिये कोर्ट से यह भी कहा कि जेएनयू देशद्रोह मामले में दिल्ली पुलिस ने गोपनीयता बरतने के साथ जल्दबाजी में  चार्जशीट दाखिल की। इस दौरान दिल्ली सरकार के संबंधित महकमे से इसके अनुमति नहीं मिली थी। विभाग ने अभी तक यह निर्धारित नहीं किया है कि जेएनयू में कथित नारे लगाए गए देशद्रोह की श्रेणी में आते हैं या नहीं। बता दें कि अब इस मामले में 8 अप्रैल को सुनवाई होगी।

दिलचस्प है कि 14 जनवरी को दिल्ली पुलिस ने करीब 1,200 पन्ने का आरोपपत्र अदालत में दाखिल किया था। इसमें जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष  कन्हैया कुमार, डेमोक्रेटिक स्टूडेंट यूनियन के सदस्य उमर खालिद और इतिहास के शोधार्थी अनिर्बान भट्टाचार्य को मुख्य आरोपित बनाया है। 7 अन्य आरोपितों में आकिब हुसैन, मुजीब हुसैन, मुनीब हुसैन, उमर गुल, रईस रसूल, बशरत अली व खालिद बशीर भट शामिल हैं। इसके अलावा आरोप पत्र के कॉलम नंबर 12 में संदिग्धों में रामा नागा, आशुतोष, शेहला राशिद, डी राजा की बेटी अपराजिता राजा, रुबैना सैफी, समर खान समेत 36 छात्रों को रखा गया है। कोर्ट के आदेश पर इन्हें भी आरोपित बनाया जा सकता है। कॉलम नंबर 12 संदिग्धों के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जिनके खिलाफ पर्याप्त सुबूत नहीं होते हैं।


 

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