जमात-ए-इस्लामी जम्मू और कश्मीर को आतंक का समर्थन करने पर किया गया प्रतिबंधित
नई दिल्ली: केंद्र ने गुरुवार को जमात-ए-इस्लामी जम्मू और कश्मीर समूह पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया है। प्रतिबन्ध की घोषणा करने वाली अधिसूचना केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी की गई थी।
अधिसूचना के अनुसार, जमात-ए-इस्लामी का आतंकवादी संगठनों के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध है। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर में यह संगठन उग्रवाद का समर्थन कर रहा है। अधिसूचना में यह भी दावा किया गया है कि यह समूह देश विरोधी गतिविधियों में लगा हुआ है जिसका उद्देश्य भारत की क्षेत्रीय अखंडता को बिगाड़ना है।
अधिसूचना में उल्लेख किया गया है कि समूह उग्रवाद का समर्थन कर रहा है और देश में हिंसा को उकसाता है।
इससे पहले समूह को 1990 में पांच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था और 1995 में यह समाप्त हो गया था। समूह का गठन 1945 में जमात-ए-इस्लामी हिंदी के एक भाग के रूप में किया गया था। हालांकि 1953 में राजनीतिक मतभेदों के कारण इसे अलग कर दिया गया। इसने हुर्रियत से हटने और कश्मीर से संबंधित मुद्दों पर अपना रुख बनाए रखने का भी फैसला किया था।
इससे पहले जम्मू और कश्मीर पुलिस ने 22 और 23 फरवरी को इसके प्रमुख अब्दुल हमीद फ़राज़ और अधिवक्ता ज़ाहिद अली सहित 100 जमात कैडरों को गिरफ्तार किया था। जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने घाटी में कई अलगाववादी नेताओं के घरों पर छापा मारा था। NIA अधिकारी ने दावा किया है कि उन्होंने छापे में कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज बरामद किए हैं।
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