बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर में दिमागी बुखार से अबतक 43 बच्चों की मौत, लेकिन राज्य सरकार कह रही हैं कुछ और 

Amit Raj  Thursday 13th of June 2019 12:14 PM
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‘चमकी’ बुखार से पीड़ित एक बच्चा मुज़फ़्फ़रपुर के एक अस्पताल में।  

नई दिल्ली: बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर में जून महीने में अब तक 43 बच्चों की मौत हो चुकी है। इन बच्चों की उम्र 10 साल से कम बताई जा रही है। ये मौतें जिले के दो अस्पतालों में हुई हैं। सरकार का कहना है कि अधिकतर मौत का कारण हाईपोग्लाइसीमिया है, यानी लो ब्लड शुगर। वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि हाईपोग्लाइसीमिया दिमागी बुखार का ही एक भाग है।

AES (एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम) और JE (जापानी इन्सेफेलाइटिस) को उत्तरी बिहार में चमकी बुखार के नाम से जाना जाता है। इससे पीड़ित बच्चों को तेज बुखार आता है और शरीर में ऐंठन होती है। इसके बाद बच्चे बेहोश हो जाते हैं। मरीज को उलटी आने और चिड़चिड़ेपन की शिकायत भी रहती है।

केजरीवाल मातृ सदन (अस्पताल) में जून के बाद से इस बीमारी के 55 मामले आए, जिनमें से सात बच्चों की मौत हो गई। अभी इस अस्पताल में चार और एसकेएमसीएच अस्पताल में छह बच्चों की हालत गंभीर बनी हुई है। वहीं इलाज के बाद अस्पताल ने 41 बच्चों को छुट्टी दे दी है।

एसकेएमसीएच अस्पताल के डॉक्टर एसके शाही का कहना है, “सभी मामले AES के तहत आ रहे हैं। लेकिन लोग इसे एक बीमारी मानते हैं जबकि यह सिर्फ एक सिंड्रोम है। हाइपोग्लाइसीमिया अधिकांश मौतों का कारण है।” उन्होंने आगे कहा, "हम AES कहने से बच रहे हैं। क्योंकि इससे गलत धारणा बन रही है। यहां हुई 36 मौत में से 25 हाइपोग्लाइसीमिया और पांच हाइपोग्लाइसीमिया और इलेक्ट्रोलाइट्स असंतुलन के कारण हुई हैं। छह मौतों का कारण अभी पता नहीं चल पाया है। अस्पताल से लिए गए सैंपल में से केवल दो मामलों में जापानी इन्सेफेलाइटिस की पुष्टि हुई है।”

इंडियन अकादमी ऑफ पीडियाट्रिक्स एसोसिएशन की कार्यकारी समिति के सदस्य डॉक्टर अरुण शाह का कहना है, “कोई कैसे कह सकता है कि ये एईएस के मामले नहीं हैं? हाइपोग्लाइसीमिया इसी का एक भाग है। एक स्वस्थ बच्चे में शुगर की कमी नहीं होती लेकिन एक गरीब और कुपोषित बच्चे के शरीर में शुगर की कमी होती है। गर्म और उमस वाले मौसम, गंदगी और कुपोषण भी एईएस के पीछे के कारण हैं।”

उन्होंने कहा, “राज्य सरकार पोषण कार्यक्रम और जागरूकता अभियान चलाने में विफल रही जिसे फरवरी में शुरू किया जाना चाहिए था। हाइपोग्लाइसीमिया के मेडिकल शब्दजाल के पीछे छिपना बहुत आसान है। उन्हें AES से निपटने के लिए हाइपोग्लाइसीमिया से निपटने के तरीके खोजने चाहिए।”

बिहार के स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव संजय कुमार ने कहा, “हमें केंद्रीय टीम से कुछ दिशानिर्देश मिलने की उम्मीद है। अधिकांश मौतें हाइपोग्लाइसीमिया के कारण हुईं। इनमें से कुछ मरीज सीतामढ़ी, शिवहर, वैशाली और पूर्वी चंपारण जिलों से हैं।”

केंद्र सरकार की सात सदस्यीय टीम के जल्द ही अस्पतालों का दौरा करने और दिशानिर्देशों का सुझाव देने की संभावना है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्थिति पर चिंता जताई है और स्वास्थ्य विभाग को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया है कि प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल केंद्र और अस्पताल मामलों से निपटने के लिए जरूरी मानकों का पालन करें।


 
 

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