सुप्रीम कोर्ट का गरीब ‘सवर्णों’ के 10% आरक्षण पर रोक लगाने से किया इंकार  

Team Suno Neta Friday 8th of February 2019 01:56 PM
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सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के केंद्र के निर्णय को चुनौती देने वाली एक नई याचिका पर केंद्र से शुक्रवार को जवाब माँगा। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सरकार के फैसले पर फिलहाल रोक नहीं लगायी जाएगी। कोर्ट ने संविधान संशोधन को चुनौती देने वाली ताजा याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया है। इससे पहले भी इस बिल का विरोध OBC, SC और सामाजिक संगठन कर चुके हैं

भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने राजनीतिक कार्यकर्ता तहसीन पूनावाला द्वारा दायर याचिका को इसी तरह की लंबित याचिकाओं के साथ टैग किया। पूनावाला ने विधेयक चुनौती देते हुए दलील दी कि संविधान (103-वां संशोधन) अधिनियम, 2019 को आरक्षण के उद्देश्य से पिछड़ेपन को केवल आर्थिक स्तर के आधार पर परिभाषित नहीं किया जा सकता है।

याचिका में कहा गया कि संवैधानिक संशोधन ने इंदिरा साहनी मामले में सुप्रीम कोर्ट के 1992 के फैसले द्वारा निर्धारित कानून का औपचारिक रूप से उल्लंघन किया। आरक्षण के उद्देश्यों के लिए पिछड़ापन केवल आर्थिक स्थिति पर परिभाषित नहीं किया जा सकता है। मंडल मामले में 1992 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले की ओर इशारा करते हुए याचिका आगे कहा गया है कि समग्र आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता। नवीनतम संशोधन में 50 प्रतिशत की सीमा का उल्लंघन किया गया है और आरक्षण अब 60 प्रतिशत है।  

सुप्रीम कोर्ट ने 25 जनवरी को भी NDA सरकार द्वारा पेश किए गए 10 प्रतिशत आरक्षण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था और केंद्र सरकार को एक नोटिस जारी कर कहा था कि वह इस बात की जांच करेगी कि क्या यह कदम संवैधानिक है। तब कोर्ट ने कहा था कि वर्तमान के लिए कोई स्टे नहीं हैं।


 

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