कलकत्ता उच्च न्यायालय ने एकल पीठ के रथयात्रा के आदेश पर लगायी रोक
नई दिल्ली: कलकत्ता उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने शुक्रवार को एकल पीठ के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसने भाजपा को पश्चिम बंगाल में रथ यात्रा निकालने की अनुमति दी थी। मुख्य न्यायाधीश देबाशीष करगुप्ता और न्यायमूर्ति शम्पा सरका की पीठ ने भी मामले को एकल पीठ को सौंप दिया है और इस पर फैसला देने से पहले सभी जाँच रिपोर्टों को पढ़ने को कहा है।
दिलचस्प बात यह है कि वकील और कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी कोलकाता पुलिस की ओर से पेश हुए और उन्होंने तर्क दिया कि गुरुवार को फैसला देने से पहले सभी जाँच रिपोर्टों को एकल पीठ द्वारा ध्यान से नहीं पढ़ा गया था।खंडपीठ ने कल के आदेश को अलग रखा है और इसे एकल पीठ को वापस भेज दिया है। अदालत ने आज कहा कि एकल पीठ को इस पर फैसला देने से पहले सभी जाँच रिपोर्टों से होकर गुजरना पड़ेगा।
खंडपीठ के आदेश के बाद भाजपा ने कहा कि वे एक बार फिर से रथयात्रा निकालने की अनुमति प्राप्त करने के लिए अदालत का दरवाज़ा खटखटाएंगे। उल्लेखनीय है कि पहले उच्च न्यायालय ने रथ यात्रा निकालने की अनुमति नही दी थी। लेकिन बाद में एकल पीठ द्वारा दिए गए फैसले में रथयात्रा को मंजूरी मिल गयी थी लेकिन बाद में उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने आदेश को पलट दिया था।
भाजपा इससे पहले 7 दिसंबर से अपनी रथयात्रा कार्यक्रम को शुरू करने के लिए निर्धारित की थी। 6 दिसंबर को कलकत्ता उच्च न्यायालय की एक एकल न्यायाधीश पीठ ने भाजपा को अनुमति देने से इनकार कर दिया। पार्टी ने तब खंडपीठ से संपर्क किया, जिसने राज्य के मुख्य सचिव, गृह सचिव और पुलिस महानिदेशक को भाजपा के तीन प्रतिनिधियों के साथ बैठक करने और 14 दिसंबर तक निर्णय लेने के लिए कहा।
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