राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष को भारत का पहला लोकपाल नियुक्त किया  

Team Suno Neta Wednesday 20th of March 2019 10:42 AM
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जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष।

नई दिल्ली: राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष को भारत के पहले लोकपाल के रूप नियुक्त किया। इसके साथ पहला राष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी लोकपाल आधिकारिक रूप से स्थापित किया गया है।

जस्टिस घोष लोकपाल पैनल के पहले अध्यक्ष होंगे। लोकपाल में आठ सदस्य होंगे, जिनमें से चार न्यायिक और गैर-न्यायिक पृष्ठभूमि से होंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन और न्यायविद मुकुल रोहतगी की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय चयन समिति द्वारा जस्टिस घोष का नाम फाइनल किया गया। वरिष्ठ कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को भी बैठक में "विशेष" से रूप में आमंत्रित किया गया था, हालांकि वे पैनल की बैठक में शामिल नहीं हुए थे।

आठ सदस्यों में से चार न्यायिक सदस्यों में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अजय कुमार त्रिपाठी, इलाहाबाद हाईकोर्ट  के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति दिलीप बाबासाहेब भोसले; न्यायमूर्ति प्रदीप कुमार मोहंती, झारखंड हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश और मणिपुर हाईकोर्ट की पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अभिलाषा कुमारी शामिल हैं।

चार गैर-न्यायिक सदस्यों में महाराष्ट्र के मुख्य सचिव दिनेश कुमार जैन; अर्चना रामासुंदरम, सेवानिवृत्त IPS अधिकारी और सशस्त्र सीमा बल के पूर्व महानिदेशक; महेंद्र सिंह, सेवानिवृत्त IRS अधिकारी और सेवानिवृत्त IAS अधिकारी आई पी गौतम शामिल हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में लोकपाल चयन समिति द्वारा नामों को सूचीबद्ध किया गया है।

लोकपाल अधिनियम 2013 में लागू किया गया था। जनवरी 2014 में राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त की गयी थी। हालांकि लोकपाल के कार्यान्वयन और चयन में कई कारणों से पांच साल की देरी हुई है।

सुप्रीम कोर्ट सरकार पर जोर दे रहा था कि वह जल्द से जल्द लोकपाल की नियुक्ति करे क्योंकि इसमें लगभग पांच साल की देरी थी। 7 मार्च को मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित करने के लिए मोदी सरकार की खिंचाई की थी, जब सरकार ने कहा था कि वह एक पखवाड़े के भीतर लोकपाल की नियुक्ति करेगी।

लोकपाल कानून लोकपाल के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों में पूछताछ करने के लिए केंद्र में लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्तों को अधिकार देता है।


 
 

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