चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि ‘इलेक्टॉरल बॉन्ड’ राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता को प्रभावित करेगा  

Team Suno Neta Thursday 28th of March 2019 10:34 AM
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नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को एक हलफनामे में “इलेक्‍टोरल बॉन्ड सिस्‍टम” की आलोचना की है। आयोग ने कहा कि चुनावी बॉन्ड राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता को प्रभावित करेंगे। चुनाव आयोग ने कहा कि इसके जरिए राजनीतिक दल सरकारी कंपनियों और विदेशी स्रोत से फंड प्राप्त कर सकेंगी, जो कानून का उल्लंघन होगा। आयोग ने कहा कि उन्होंने 2017 में इसे लेकर चिंता जाहिर की थी और केंद्र सरकार से इस पर पुनर्विचार की मांग की थी।

चुनाव आयोग ने हलफनामे में कहा कि शेल कंपनियों के माध्यम से राजनीतिक फंडिंग से काला धन को बढ़ावा मिलेगा और “भारत में राजनीतिक दलों की अनियंत्रित विदेशी फंडिंग होगी जिससे भारतीय राजनीति विदेशी कंपनियों से प्रभावित हो सकती है।” दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट में 14 मार्च 2019 को एक सरकारी हलफनामे में दावा किया गया कि राजनीतिक धन और दान में पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए चुनावी बांड पेश किए गए थे।

सरकार ने पिछले साल 2 जनवरी को शुरू की गई इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को “कैशलेस-डिजिटल इकोनॉमी” की ओर बढ़ने वाले देश में “चुनावी सुधार” बताया था। हलफनामे को बुधवार को याचिकाकर्ता एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स द्वारा परिचालित किया गया था।

चुनाव आयोग ने 2016 के वित्त अधिनियम के लिए अपने आलोचना का विस्तार करते हुए बताया गया है कि कैसे FCRA 2010 में संशोधन किया गया था और “भारतीय कंपनियों में बहुसंख्यक हिस्सेदारी वाले विदेशी कंपनियों से दान प्राप्त करने की अनुमति दी गयी।” इससे पहले 26 मई 2017 के हलफनामे में बड़े पैमाने पर पत्र चुनाव आयोग ने कानून मंत्रालय को लिखे। पत्र में शपथ पत्र के साथ लिखा गया है कि कंपनी अधिनियम में संशोधन कैसे किया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने मामले को 2 अप्रैल को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है। यह सुनवाई एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स द्वारा चुनावी बॉन्ड, असीमित कॉर्पोरेट फंडिंग और राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता के मुद्दे पर दायर याचिका पर आधारित है।


 

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