भारत में वायु प्रदूषण से 12 लाख लोग मरे, बना स्वास्थ्य के लिए तीसरा सबसे बड़ा खतरा: रिपोर्ट 

Shruti Dixit  Wednesday 3rd of April 2019 01:13 PM
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वायु प्रदूषण से जीना हुआ दूभर

नई दिल्ली वायु प्रदूषण से जुड़ा खतरनाक सच सामने आया है। वायु प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए तीसरा सबसे बड़ा खतरा बन गया है। अमेरिका स्थित हेल्थ इफेक्ट इंस्टीट्यूट (एचईआई) और इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवेल्यूएशंस (आईएचएमई) की ओर से जारी स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर, 2019 रिपोर्ट के अनुसार, दूषित वायु धूम्रपान से भी ज्यादा मौतों का कारण बन रही है। वायु प्रदूषण के कारण 2017 में दुनियाभर में 49 लाख मौतें हुई हैं। कुल मौतों में 8.7 प्रतिशत योगदान वायु प्रदूषण का रहा।

भारत में वायु प्रदूषण के कारण 2017 में 12 लाख लोगों ने जान गंवाई है। यह मौतें आउटडोर (बाहरी), हाउसहोल्ड (घरेलू) वायु और ओजोन प्रदूषण का मिलाजुला नतीजा है। इन 12 लाख मौतों में से 6,73,100 मौतें आउटडोर पीएम-2.5 की वजह से हुईं, जबकि 4,81,700 मौतें घरेलू वायु प्रदूषण के चलते हुईं। भारत के अलावा चीन में 12 लाख, पाकिस्तान में एक लाख 28 हजार, इंडोनेशिया में एक लाख 24 हजार, बांग्लादेश में एक लाख 23 हजार, नाइजीरिया में एक लाख 14 हजार, अमेरिका में एक लाख आठ हजार, रूस में 99 हजार, ब्राजील में 66 हजार और फिलीपींस में 64 हजार मौतों की वजह दूषित बना बनी है। वायु प्रदूषण दुनियाभर में बीमार लोगों की संख्या में बेहताशा वृद्धि कर रहा है।

रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर में जहरीली हवा से होने वाली मौतों में 50 फीसदी मौतें भारत और चीन में हुई हैं। ये जानकारी वैश्विक वायु प्रदूषण पर आधारित एक रिपोर्ट में कही गई है। ये रिपोर्ट अमेरिका स्थित दो इंस्टीट्यूट ने तैयार की है। इस प्रदूषण में घरों में मौजूद वायु प्रदूषण भी शामिल है। इस अध्ययन रिपोर्ट का शीर्षक 'स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2019' है। इसके मुताबिक वायु प्रदूषण के कारण दक्षिण एशिया में पैदा होने वाले बच्चे के जीवन के 20 महीने कम हो रहे हैं।

स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर (SoGA) की 2019 की रिपोर्ट कहती है कि 2017 में भारत में आउटडोर और इनडोर वायु प्रदूषण के कारण 1.2 मिलियन (12 लाख) से अधिक लोग मारे गए। जबकि साल 2015 में 1.1 मिलियन लोगों की मौत वायु प्रदूषण के कारण हुई थी। बता दें कि, भारत के लिए वायु प्रदूषण चिंता का विषय है क्योंकि नई दिल्ली को दुनिया में सबसे प्रदूषित राजधानी होने का 'टैग' मिला हुआ है। अध्ययन में पहली बार वायु प्रदूषण को टाइप-2 मधुमेह से जोड़ा गया है। भारत के लिए यह बेहद चिंता की बात है क्योंकि यह महामारी का रूप ले चुका है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2015 में मधुमेह की आर्थिक लागत वैश्विक अर्थव्यवस्था का 1.8 प्रतिशत थी और यह सभी देशों के स्वास्थ्य तंत्र के लिए तेजी से बढ़ती चुनौती है। अध्ययनकर्ता काफी विचार-विमर्श और अनुसंधान के बाद इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि पीएम-2.5 टाइप-2 मधुमेह के मामलों और मृत्यु को बढ़ाता है।

ग्लोबल बर्डन डिसीज 2017 के विश्लेषण में भी पीएम-2.5 को उच्च रक्तचाप और अत्यधिक मोटापे के बाद टाइप-2 मधुमेह से होने वाली मौतों के लिए तीसरा सबसे बड़ा खतरा बताया गया था। पीएम- 2.5 से होने वाले टाइप-2 मधुमेह से दुनियाभर में वर्ष 2017 में 2,76,000 मौतें हुईं। भारत में यह खतरा बहुत बड़ा है। यहां पीएम-2.5 के कारण 55,000 मौतें हुईं हैं। बीमारियों और खासकर टाइप-2 मधुमेह का खतरा कम करने के लिए व्यापक रणनीतियां बनानी होंगी। विश्लेषण बताता है कि दुनिया की अधिकांश आबादी अस्वस्थ परिस्थितियों में जी रही है। 90 प्रतिशत से अधिक आबादी विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा निर्धारित हवा के मानकों के अनुसार हवा में सांस नहीं ले रही है।


 
 

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