तमिलनाडु में गहराया जल संकट, पानी को लेकर झड़प और हत्या तक कि आ रही खबरें
नई दिल्ली: तमिलनाडु में जल संकट गहराता जा रहा है। पानी के स्रोत सूखे पड़े हैं और मॉनसून अभी आता दिख नहीं रहा है। पानी का संकट इस कदर विकराल हो गया है कि अब कई शहरों से पानी को लेकर झड़पों की ख़बरें आने लगी हैं। कुछ इलाक़ों में लोगों को सात-आठ किलोमीटर तक पानी लेने के लिए जाना पड़ रहा है।
शहर के रेस्टोरेंट और आईटी कंपनियों तक का काम काफी प्रभावित हो रहा है। चेन्नई में 65 फ़ीसदी तक रेस्त्रां पानी के संकट से प्रभावित हैं। यह समस्या कितनी बड़ी हो चुकी है इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि करीब 12 कंपनियों के 5,000 कर्मचारियों को घर से ही काम करने को कहा गया है।
दरसल दफ्तर में पानी की कमी को कंपनी पूरा नहीं कर पा रही है। हालांकि कंपनी की बैठक में उन्हें पहुंचना पड़ सकता है। अंतिम बार ऐसा चार साल पहले देखने को मिला था जब टैंकरों की हड़ताल हो गयी थी।
वहीं शोलिंगनल्लूर इलाके के एलकॉट में फोर्ड बिजनस सर्विसेज ने अपने कर्मचारियों से पीने का पानी खुद लाने को कहा है। टेक बेस्ड जल प्रबंधन स्टार्टअप ग्रीन इन्वाइरनमेंट के सीईओ और को-फाउंडर वरुण श्रीधरन का कहना है “कंपनियां अपनी जरूरत के मुताबिक 55 प्रतिशत ट्रीटेड वॉटर का इस्तेमाल कर रही हैं और तत्काल उपयोग पर निगरानी रख रही हैं।”
SIPCOT आईटी पार्क के एक अधिकारी का कहना है, “यहां की 46 कंपनियों को रोज 20 लाख लीटर पानी की जरूरत होती है और इसे पार्क में मौजूद 17 कुओं से निकाला जाता है। इस समय कुओं से केवल 10 लाख लीटर पानी ही निकल पाता है। बाकी टैंकरों के जरिए मुहैया कराया जाता है।”
यहाँ लोग अपने रिश्तेदारों के घर जाना उचित नहीं समझ रहे हैं। जल संकट इस कदर हावी है कि कुछ दिन पहले तमिलनाडु के थंजावुर में सार्वजनिक टंकी से सीमित पानी लेने को लेकर हुए एक झगड़े में आनंद बाबू नाम के सामाजिक कार्यकर्ता की हत्या कर दी गई थी।
पिछले हफ्ते, चेन्नई के उपनगर में पानी की कतार पर एक धारदार हथियार से आथिमूलम रामाकृष्णन नामक एक व्यक्ति ने अपने पड़ोसी सुभाषिनी की गला काटकर हत्या कर दी। पुलिस के अनुसार, रामकृष्णन, जो तमिलनाडु के स्पीकर पी धनपाल के ड्राइवर हैं, को गुरुवार को गिरफ्तार कर लिया गया, जबकि सुभाषिनी चेन्नई के एक अस्पताल में भर्ती हैं। और संकट सिर्फ चेन्नई तक सीमित नहीं है।
तमिलनाडु लगातार तीन साल से सूखे के संकट को झेल रहा है। 2017 में कम बारिश और 2018 में मानसून में कमी से भूमिगत जल का स्तर काफी नीचे चला गया है। इससे शहर में भारी जल संकट पैदा हो गया है। इस माह के शुरुआत में राज्य सरकार ने चेन्नई व कांचीपुरम समेत 17 जिलों को सूखाग्रस्त घोषित कर दिया। पिछले साल उक्त जिलों में 19 से 59 प्रतिशत ही बारिश हुई थी।
जल संकट गहराने पर मद्रास उच्च न्यायालय ने भी कदम आगे बढ़ाया है। अदालत ने राज्य सरकार से शहर की पानी की दैनिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में विवरण मांगा है। इसने राज्य सरकार से पानी की कमी को कम करने के लिए उठाये गए कदमों के बारे में 17 जून को विवरण प्रस्तुत करने को कहा है।
दिन-प्रतिदिन अत्यधिक दोहन के कारण पानी का संकट विकराल रूप लेता जा रहा है। आज भारत ही नहीं, दुनिया के ज्यादातर देश पानी के संकट से जूझ रहे हैं। औद्योगीकरण व शहरीकरण के कारण जल प्रदूषण की समस्या व जनसंख्या वृद्धि तथा पानी की खपत बढ़ने के कारण दिन-प्रतिदिन जल चक्र असंतुलित होता जा रहा है। सरकार को और समाज को इस समस्या पर गंभीर होने की जरूरत है।
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