किसानों का दिल्ली में प्रवेश रोकने के लिए पुलिस ने किया बल का प्रयोग 

Team Suno Neta Tuesday 2nd of October 2018 06:40 PM
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दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर किसान और पुलिस के बीच भिड़ंत का एक नज़ारा

नई दिल्ली: दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर 10 दिनों से पैदल चले आ रहे परेशान किसानों को मंगलवार को पानी के फवारे से और अश्रु गैस से रोकने की कोशिश की गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उस दिन महात्मा गांधी की जयंती के समारोह में शामिल थे जिन्होंने दुनिया को अहिंसा का पाठ पढ़ाया था और उसी दिन लाल बहादुर शास्त्री की भी जयंती थी जिन्होंने  “जय जवान, जय किसान” का नारा दिया था। 

प्रमुख राज्य चुनावों और आम चुनावों से पहले पुलिस कार्रवाई  में कुछ किसान घायल हो गए और 7 पुलिसकर्मी को भी चोट पहुंची है। केंद्र सरकार किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल से मिलने के लिए सहमत हो गए और शाम तक भारतीय किसान यूनियन (BKU) के पदाधिकारियों के साथ वार्ता में भी शामिल थे।

BKU के प्रवक्ता युद्धवीर सिंह ने कहा कि 11 में से 7 मांगो पर सरकार सहमत है जिसमें अदालत में चल रहे नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल प्रतिबंध जिसमे 10 साल पुराने ट्रैक्टरों पर प्रतिबंध था वो भी शामिल है।न्यूनतम समर्थन मूल्य और ऋण छूट जैसे मुख्य मुद्दे पर कोई समझौता नहीं हुआ।

रात में भी किसान सिमा पर खड़े रहे जिसके कारण गाज़ियाबाद प्रशासन ने बुधवार को स्कूलों को बंद रखने का फ़ैसला किया। यह देखते हुए कि हरिद्वार के किसान BKU के बुलावे पर हरिद्वार से दिल्ली सीमा पर आएं थे और कोई हिंसा नहीं हुई थी, इसपर सवाल पूछे गए थे की दिल्ली पुलिस जो केंद्र सरकार को रिपोर्ट करती ही वो किसके निर्देश पर किसानों को राजधानी में प्रवेश से रोक रही थी। 

किसान राष्ट्रीय राजमार्ग 24 पर पैदल और ट्रैक्टर से आये थे।दिल्ली पुलिस ने कहा कि राजधानी की सड़कों पर अदालत ने ट्रैक्टरों पर प्रतिबंध लगाया है जिसके कारण किसानों को प्रवेश से इनकार किया गया था। दिल्ली पुलिस ने आगे कहा कि उन्होंने किसानों पर पानी के फवारे और अश्रु गैस का इस्तेमाल सीमित पैमाने पर किया था जब किसानों ने तीन परतीये बैरिकेड्स को अपने ट्रैक्टर-ट्रॉली से तोड़ने की कोशिश की थी। कुछ प्रद्रशनकारिओं ने पत्थर और लाठी का भी प्रयोग तैनात पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ किया था जिसके कारण कुछ पुलिसकर्मी घायल भी हो गए थे। 

स्वाभिमानी पक्ष नेता राजू शेट्टी ने कहा: “किसान आतंकवादी या नक्सली नहीं हैं, वे अपने मांगों के साथ आए थे। क्या उन्हें ऐसा करने का अधिकार नहीं है? शिवराज सिंह चौहान सरकार ने मंदसौर में किसानों की हत्या की थी, आज वह अपना सांसद हारने के क़रीब हैं।मोदी जी को चेतावनी देते हुए उन्होंने कहा कि अगर किसानों पर ऐसे ही अन्याय जारी रहा तो वह दिल्ली खो देंगे।” 

शेट्टी इस साल की शुरुआत में NDA से बाहर हुए थे क्योंकि वह घोषणापत्र में किसानों को किए गए वादे को पूरा करने में असफल होने के विरोध थे । 

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने किसानों के लिए ट्वीट कर कहा: “दिल्ली हर किसी से संबंधित है। किसानों को दिल्ली आने से रोका नहीं जा सकता है। उनके पास वैध मांग है। उन्हें पूरा किया जाना चाहिए।”

किसानों के विरोध प्रदर्शन पर पुलिस कार्रवाई की निंदा करते हुए अखिल भारतीय किसान सभा (AIKS) ने एक बयान में कहा कि "स्वतंत्र भारत में सबसे अधिक किसान विरोधी सरकार" का असली चेहरा सामने आया है। उन्होंने कहा कि यह मध्य प्रदेश, असम और झारखंड में भाजपा सरकार का किसानों के विरोध प्रदर्शन के खिलाफ पुलिस गोलीबारी आम है।

एक तरफ, नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली भाजपा सरकार प्रचार पर करोड़ों रुपए खर्च करके किसानों के समर्थक के रूप में खुद को बताने की कोशिश करती है। दूसरी तरफ, किसानों के विरोध और वास्तविक मांगों को असंवेदनशील तरीके से निपटाती है।


 

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