उज्जवला रसोई गैस मिलने के बाद आदिवासी गाँवों की महिलाएं खो रहीं हैं BPL कार्ड की पात्रता  

Team Suno Neta Thursday 24th of January 2019 03:14 PM
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नई दिल्ली: इंडियन एक्सप्रेस की एक ख़बर में बताया गया है कि गुजरात की कई आदिवासी महिलाओं को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जारी किये गए उज्ज्वला योजना के तहत सशक्त एवं आत्मनिर्भर बनाने के प्रयासों को झटका लग सकता है। कई जगहों से खबर आ रही है कि ग्रामीण महिलाओं को सब्सिडी गैस सिलेंडर देने के बाद उन्हें BPL कार्ड से वंचित कर दिया गया।  

इंडियन एक्सप्रेस के सैयद खालिक अहमद की रिपोर्ट के अनुसार, पंचमहल जिले के मेखर मोरवा गांव के रहने वाले शारदाबेन मानसिंह BPL कार्डधारक थे। हालांकि जून 2016 में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUI) के तहत उसे LPG  कनेक्शन आवंटित किए जाने के बाद उसे स्थानीय राशन की दुकान द्वारा सब्सिडी वाले केरोसिन से वंचित कर दिया गया था। पूछताछ करने पर पर उसे बताया गया कि उसने LPG कनेक्शन लेने के बाद उसके परिवार ने BPL की पात्रता खो दी। इसके अतिरिक्त उन्हें बताया गया कि BPL  परिवारों को मिलने वाली सब्सिडी वाले केरोसिन और अन्य गरीबी उन्मूलन योजनाओं के वे लाभ की हकदार नहीं हैं।

साबरकांठा जिले के वडाली तालुका के रामपुर गाँव के निवासी लीलाबेन कोनाभाई टाकड़े की भी स्थिति कुछ अलग नहीं है। BPL कार्डधारक के रूप में उसने स्थानीय LPG वितरक को 600 रुपये का भुगतान करके प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत गैस सिलेंडर, चूल्हा, और गैस पाइप के साथ एक LPG कनेक्शन लिया। उन्हें भी राशन दुकान के मालिक द्वारा इस आधार पर केरोसिन लेने से इनकार कर दिया गया है कि उसे पहले ही LPG कनेक्शन मिल चुका है और उन्हें BPL के तहत सब्सिडी वाले राशन से भी वंचित किया गया है।

बुधवार को यहां मीडियाकर्मियों को अपनी व्यथा बताते हुए अहमदाबाद स्थित एक गैर सरकारी संगठन ‘दिशा फाउंडेशन’ के प्रयास के तहत योजना के नुकसान को उजागर करते हुए बताया गया कि राशन दुकान संचालकों ने उन्हें बताया कि राज्य सरकार ने उज्जवला लाभार्थियों को निर्देशित किया है अब उन्हें BPL के रूप में नहीं माना जाता है, और इसलिए सब्सिडी वाले केरोसिन और राशन के वे लिए हकदार नहीं हैं।

महिलाओं ने कहा कि उन्होंने LPG कनेक्शन वापस करने और खुद को फिर से BPL परिवारों के रूप में दर्ज करने की पेशकश की थी, लेकिन स्थानीय अधिकारियों ने उन्हें बताया कि अब यह संभव नहीं है। उनमें से कई ने कहा कि वे इतने गरीब है और पहले LPG सिलेंडर के बाद वे रिफिल नहीं खरीद पा रहे हैं। जब उन सबसे पूछा गया कि सब्सिडी वाले दरों पर LPG खरीदने के बाद उन्हें केरोसिन की आवश्यकता क्यों है।उन्होंने इसके जवाब में कहा कि राज्य के आदिवासी इलाकों के गांवों में बिजली की आपूर्ति अनियमित होने के कारण उन्हें दिए जलाने के लिए मिट्टी के तेल की आवश्यकता होती है।

अध्ययन में चार जनजातीय जिलों अरावली, साबरकांठा, दाहोद और पंचमहल के 15 ब्लॉकों के 1,080 BPL परिवारों को शामिल किया गया। अध्ययन में कहा गया है।1,080 परिवारों में से 953 या 88% को APL  में बदल दिया गया है, क्योंकि LPG कनेक्शन प्राप्त करने से उनके जीवन स्तर में सुधार हुआ है।

अध्ययन में यह भी कहा गया है कि इन परिवारों ने परिणामस्वरूप BPL के लिए अन्य गरीबी उन्मूलन योजनाओं के लाभ प्राप्त करना बंद कर दिया है। अध्ययन के अनुसार केवल 127 परिवारों ने कहा कि उनकी BPL स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ है। अध्ययन के अनुसार, 96 %या 1,033 परिवारों ने बताया कि रसोई गैस कनेक्शन प्राप्त करने के बाद राशन दुकानों ने उन्हें केरोसिन देना बंद कर दिया था।


 
 

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