के जे अल्फोंस ने कहा ‘मलयाली लोगों की पीठ में छुरा घोपने की समस्या उनके DNA में है’
रविवार को केंद्रीय पर्यटन मंत्री के जे अल्फोंस ने कहा कि मलयाली लोगों में खराब रोशनी में चीजों को देखने की विशेषता होती है। पीठ में छुरा घोपना मलयाली लोगों के DNA में है। उनका यह बयान पूर्व भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के वैज्ञानिक नंबी नारायणन को पद्म भूषण से सम्मानित करने के केंद्र के फैसले की केरल के पूर्व पुलिस महानिदेशक टी पी सेन कुमार की आलोचना के जवाब में आया है।
कोच्चि में पत्रकारों से बात करते हुए अल्फोंस ने कहा, “मलयाली में खराब रोशनी में चीजों को देखने और “पीठ में छुरा घोपने” की समस्या उनके DNA में ही होती है।”
उन्होंने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने ISRO मुद्दे में सच्चाई का पता लगाने के लिए एक सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है। उन्हें समिति के निष्कर्षों तक इंतजार करना चाहिए था अगर समिति को पता चलता है कि नारायण एक महान वैज्ञानिक थे तो मुझे भारत रत्न से सम्मानित होने पर भी स्वागत करने में संकोच नहीं होगा।
सेन कुमार ने यह भी दावा किया कि नारायणन ने ISRO में बहुत कम योगदान दिया है।
अल्फोंस ने कहा कि वह इस तथ्य से परेशान है कि कोई भी मलयाली किसी अन्य मलयाली को कुछ भी हासिल करते हुए देखना पसंद नहीं करता है। उन्होंने कहा कि इस दृष्टिकोण को बदलना होगा लेकिन वह यह नहीं जानते कि यह आदत मलयाली के बीच इतनी आम क्यों है। मलयाली को खुश होना चाहिए कि एक साथी मलयाली को मान्यता दी गई है।
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