वेंकैया नायडू ने कहा ‘विघटनकारी प्लेटफार्मों पर विधायी शक्तियों को कम किया जा रहा है’
उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने शुक्रवार को पिछले सत्र में राज्यसभा के कामकाज से नाखुशी व्यक्त करते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश के विधायी निकायों को विघटनकारी प्लेटफार्मों के लिए कम किया जा रहा है।
एक पुस्तक के शुभारंभ पर बोलते हुए नायडू ने कहा, “बहस के प्रभावी मंच बनने के बजाय देश की विधायिकाएं विघटनकारी प्लेटफार्मों के लिए कम हो रही हैं। उन्होंने कहा कि यह बढ़ती प्रवृत्ति मेरे विचार में हमारे संवैधानिक निर्माताओं की दृष्टि का एक स्पष्ट निषेध है। इस तरह के व्यवहार भारत के संविधान की भावना के लिए एक संघर्ष है। लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं के प्रति उदासीनता प्रदर्शित करता है और लोगों के जनादेश के लिए पूरी तरह उपेक्षा दिखाता है।”
नायडू ने कहा कि पिछले सत्र में भले ही उन्होंने राज्यसभा में कई बार अपील की थी। सदन को प्रस्ताव पर चर्चा करने और अपनाने के लिए एक सप्ताह से अधिक समय तक कार्य करने की अनुमति नहीं थी। निराशा की अपनी अभिव्यक्ति जारी रखते हुए नायडू ने कहा कि यह चिंता का विषय है कि हाल के वर्षों में राजनीतिक प्रवचन एक नए स्तर पर पहुंच रहा है। प्रवृत्ति को जल्द से जल्द उलटा जाना चाहिए। सार्वजनिक जीवन में लोगों को समझना चाहिए कि वह केवल प्रतिद्वंद्वी हैं, दुश्मन नहीं। राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आज़ाद ने भी उनके साथ एक ही मुद्दे पर अपनी चिंताओं को साझा किया है।
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