मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा 'अगर ट्रिपल तलाक राजसभा में पारित हुआ तो मामला सुप्रीम कोर्ट में खीचा जाएगा' 

Team Suno Neta Monday 17th of December 2018 10:19 AM
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सैयद कासिम रसूल इलियास

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने “ट्रिपल तलाक” अध्यादेश को “एंटी-शरिया और मुस्लिम महिला विरोधी” कहते हुए कहा है कि अगर यह मौजूदा शीतकालीन सत्र के दौरान राज्यसभा में अध्यादेश पारित किया जाता है तो यह मामला सुप्रीम कोर्ट में खीचा जाएगा। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 19 सितंबर को ट्रिपल तलाक विधेयक के प्रावधानों में संशोधन करने के लिए अध्यादेश पारित किया था। बाद में इस पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने हस्ताक्षर किया था।                        

लखनऊ में रविवार को मीडिया से बात करते हुए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के सदस्य सैयद कासिम रसूल इलियास ने कहा, “एक अध्यादेश पारित होने में अभी वक्त है और है। अदालत ने कहा कि यदि अध्यादेश समाप्त हो गया है, तो कुछ भी नहीं होगा। लेकिन दुर्भाग्यवश बिल पास हो गया है और स्वीकार भी कर लिया गया है। हम इसे सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देंगे। यह सिर्फ शरिया के खिलाफ नहीं बल्कि महिलाओं के खिलाफ भी है। महिलाएं स्वयं कह रही हैं कि इस  बिल का प्रारूप उनके लिए स्वीकार्य नहीं है। हमने एक समिति भी बनाई है जिसे धर्मनिरपेक्ष दलों के नेताओं से मिलने की जिम्मेदारी दी गई है और उनसे कहा है कि अध्यादेश संसद में पारित न होने दें।”

पांच न्यायाधीशों के संविधान खंडपीठ ने अगस्त 2017 में तत्काल ट्रिपल तलाक या तलाक-ए-बिदत की सदियों पुरानी प्रथा को रद्द कर दिया था। ट्रिपल तलाक तत्काल तलाक का वह रूप है जिसका उपयोग भारत में मुसलमानों द्वारा किया जाता है। मुस्लिम महिलाओ विवाह के अधिकारों के संरक्षण के अध्यादेश 2018 में कहा गया है कि तत्काल ट्रिपल तलाक अवैध और कानूनन जुर्म है। इसके उलंघन में पति के लिए तीन साल की जेल की सजा होगी।



 

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