राजनैतिक विरासत में "शर्मिंदगी" मिलेगी हमें । 

Amit Raj  Friday 3rd of May 2019 12:37 AM
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आज चुनावों के दौर में हम जो भी देख रहे हैं वो भले ही छणभंगुर हो पर इतिहास के पन्ने में हर एक दिन का लेखा-जोखा किया जा रहा है। राफेल पर के विवाद भी ,चौकीदार- चोर भी, सेना का पराक्रम भी और इनपर  बलात्कार के लांछन भी, हिन्दू आतंकवाद और बाबर का औलाद भी, धोती कुर्ता और बनियान के रंग भी, गाली -गलौज, थप्पड़-जुते का प्रहार भी , हम ये सारी चीज़ें अपनी आगे की आने वाली पीढ़ी को विरासत में देने वाले है। आज की राजनीति को देखे तो ऐसा लगता है कि आने वाली राजनीति विज्ञान की पुस्तक किसी अश्लील कहानी की किताब की तरह होगी

 भारत जैसे स्वागिमानी देश, अपने इतिहास पर गर्व करने वाला देश आगे चलकर अपने इतिहास पर शर्मिंदा होगा। हिंदुस्तान ने ऐसी घिनौनी राजनीति का चेहरा आजतक कभी नही देखा था जो विगत कुछ वर्षों से देख रहा है। हम किसी पार्टी विशेष की आलोचना नहीं कर रहे हम राजनैतिक व्यवस्था में उतरे सभी तत्वों को इसका जिम्मेवार मानते हैं । राजनीति का स्तर गिराने में अगर किसी का सबसे बड़ा हाथ रहा है तो वो है हमारे देश की मीडिया। नेताओं की बदजुबानी और गाली गलौज को प्रसारित कर उसपर बहस कर अपने देश की आंतरिक राजनीति को इन्होंने वैश्विक मंच पर ला दिया। दुनिया इस आंतरिक कलह पर चुटकी ले रही। हम अपनी TRP बढ़ाने में लगे हैं और देश के चंद नेताओं के कारण हमारी संस्कृति सभ्यता पर  धूमिल होते जा रही है। हम क्यों न ऐसे नेताओं का सामाजिक बहिष्कार कर दें इनकी बातों पर अगर ध्यान ही ना दिया जाये तो ये खुद शांत हो सकते है हमारे देश में एक बहुत अच्छा मुहावरा इसपर सटीक बैठता है "हाथी चले बाज़ार कुत्ता भौंके हज़ार "

हमें अपनी सांस्कृतिक विचारों को मीडिया के माध्यम से देश दुनिया तक ले जाना है ना कि अभद्रतापूर्ण राजनैतिक क्रियाकलापों को।

 

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