मसूद अज़हर पर क्या कहा पाक ने? किसको होगा फायदा?  

Amit Raj  Thursday 2nd of May 2019 12:22 PM
(0) (0)

भारत को 1 मई को एक बड़ी कूटनीतिक जीत मिली. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) ने आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) के सरगना मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित कर दिया. भारत में चुनाव का समय है और ऐसे में ये खबर वर्त्तमान सरकार के लिए वरदान बनकर उभरा है यही कारण है की सरकार से लेकर मीडिया तक देश की इस कूटनीतिक जीत पर प्रधानमन्त्री की पीठ थपथपा रहे है. ऐसे में हमारे पडोसी मुल्क क्या कर रहे है क्या सोच रहे है ये जानना भी जरूरी है.

वर्षों से आतंक और आतंकवादियों को आश्रय देने वाला पकिस्तान आज भारत की इस कूटनीतिक जीत पर भी खुद के तारीफ़ के पुल बाँध रहा है पाकिस्तानी मीडिया बुधवार से ही लिख रहा है कि संयुक्त राष्ट्र की पाबंदी पाकिस्तान और चीन की शर्त मानने की वजह से लग पाई है. अगर पाकिस्तान और चीन नहीं मानते तो मसूद अजहर ग्लोबल आतंकी घोषित नहीं हो पाता.

पाकिस्तानी अखबार Tribune PK ने लिखा है कि मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकी तो घोषित किया गया, लेकिन कश्मीर के मसले पर जो बात भारत मनवाना चाहता था उसकी वह इच्छा पूरी नहीं हो सकी है.

पाकिस्तान का कहना है कि भारत मसूद अजहर का नाम कश्मीर में हुई घटनाओं से जोड़ रहा था और पाकिस्तानी संस्थाओं का नाम ले रहा था जिससे पाकिस्तान को परहेज था, इसमें बदलाव किया गया और बाद में चीन-पाकिस्तान इस बात पर राजी हुए की वीटो वापस लिया जाए .

भारत की ओर से 2009 से की जा रही कोशिश अब सफल हो चुकी है .जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 40 जवानों की जान लेने वाला जैश-ए-मोहम्मद का सरगना मौलाना मसूद अजहर अब ग्लोबल आतंकी घोषित हो गया है. अमेरिका, फ्रांस और यूके के संयुक्त प्रस्ताव और चीन के अपने वीटो वापस लेने के साथ ही संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद ने मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकी घोषित किया.

गौरतलब है कि एक तरफ अपनी शर्तों की दुहाई दे रहा पाकिस्तान बालाकोट में हुई एयरस्ट्राइक के बाद से ही दुनिया के दबाव में है. यही कारण है कि उसने बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद से ही मसूद अजहर को नजरबंद किया हुआ है.

चुनाव के बाद घोषणा करना चाहता था चीन  

चीन मसूद अजहर  को वैश्विक आतंकी घोषित करने की प्रक्रिया को भारत में लोकसभा चुनावों के खत्म होने के बाद पूरी करना चाहता था. चीन की कोशिश थी कि किसी तरह से 15 मई के बाद ही यह प्रक्रिया हो जिसपर फ्रांस, रूस और इंग्लैंड आपसी सहमति बना ली थी लेकिन अमेरिका के दबाव के कारण चीन की यह चालाकी काम नहीं आई और अमेरिका ने 30 अप्रैल की डेडलाइन तय कर दी. डेडलाइन को आगे बढ़ाने में नाकाम होने के कारण चीन को यह कदम उठाना पड़ा. खबर यह भी है की भारत ने अमेरिका के माध्यम सेे इसपर जल्द फैसला लेने को कहा था .

कुछ भी हो जैश-ए-मोहम्मद और मसूद अजहर पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा लगाये गये प्रतिबन्ध का समय बीजेपी के लिए अनुकूल था. लोकसभा चुनावों के 3 निर्णायक चरण अभी बाकी हैं राष्ट्रवाद के मुद्दे पर चुनाव लड़ रही भारतीय जनता पार्टी के इसका अच्छा फायदा मिल सकता है जबकि विपक्षी पार्टी को अब इस मुद्दे को गौण करने के लिए कोई नया तिकड़म अपनाना पड़ेगा वरना दाल गलने से रही .


 

अपना कमेंट यहाँ डाले