श्रद्धांजलि: बुझ गई 'पहाड़ की लालटेन', मंगलेश डबराल की कुछ चुनिंदा कविताएं 

Syed  Wednesday 9th of December 2020 11:43 PM
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'पहाड़ पर रखी वह लालटेन' बुझ गई। जाने-माने कवि मंगलेश डबराल नहीं रहे। हृदयघात के बाद गाजियाबाद के वसुंधरा के एक निजी अस्‍पताल में उनका इलाज चल रहा था। हालत बिगड़ने पर उन्‍हें एम्स रेफर किया गया था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। समकालीन कवियों में चर्चित नाम डबराल का जन्म उत्तराखंड के टिहरी जिले के काफलपानी में हुआ था। खुद की ही तरह अपनी बेहद शांत रचनाओं से व्यवस्था को झकझोरने वाले मंगलेश अपने पीछे कविताओं का ऐसा संसार छोड़ गए हैं, जो उनकी याद दिलाता रहेगा। पहाड़ पर लालटेन, घर का रास्ता, हम जो देखते हैं, आवाज भी एक जगह है, नए युग में शत्रु उनके कविता संग्रह हैं। मंगलेश जी को श्रद्धांजलि देते हुए हम उनकी 5 चुनिंदा कविताएं यहां दे रहे हैं...

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