किसान आंदोलन का मैनेजमेंट एंगल: दिल्ली बॉर्डर पर यह ‘उड़ता पंजाब’ नहीं, बल्कि ‘उड़कर आया हुआ पंजाब’ है 

Tejas Bedre  Wednesday 9th of December 2020 02:15 PM
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यहां जिस तरह आवश्यक सुविधाओं का परिवहन किया गया, वो किसी भी लॉजिस्टिक मैनेजमेंट कंपनी को आश्चर्य में डालने वाला है,अब देश तकलीफ और बलिदान वाले विरोध प्रदर्शनों और हड़तालों से दूर निकलकर एक स्वच्छ व सुनियोजित लड़ाई की रणनीति पर पहुंच गया है | हममे से अधिकांश लोग अपनी मांग पूरी करवाने के लिए लोगों को भूख हड़ताल का सहारा लेते देखकर बड़े हुए हैं। जैसे-जैसे हड़ताल के दिन बढ़ेंगे तो कुछ लोगों को अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ेगा और उनके प्रति एक धीमी सहानुभूति की लहर पैदा होने लगेगी। और दिन गुजरने के साथ जैसे ही बड़े नेताओं की हालत खराब होगी, सरकार की भी सौदेबाजी की ताकत कमजोर हो जाती है- मुख्य रूप से इसलिए क्योंकि सहानुभूति की लहर अपने चरम पर पहुंच गई होती है।

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