कला ही मेरी जिंदगी है: मुंह से नहीं लिख पाई, तो मां ने पैर से लिखना सिखाया; बनना चाहती है प्रोफेशनल आर्टिस्ट 

CHARANJIT CHANANA  Friday 4th of December 2020 10:13 PM
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मां काे यूं ही खुदा का रूप नहीं कहते। हर जगह खुदा नहीं हो सकता, इसलिए भगवान ने सभी को मां दी। जब उम्मीद टूटने लगे, हिम्मत रूठने लगे तब मां ही होती है जो हाथ थामे खड़ी रहती है। लेकिन, मेरी मां ने मेरा पैर थामा। मुझे उस रास्ते पर ले गई, जहां जिंदगी की खुशियां बिखरी थी। जहां उम्मीद साथ-साथ चली। यह कहना है 19 साल की दिव्यांग आर्टिस्ट रहनुमा रानी का। रहनुमा सेक्टर 10 स्थित आर्ट्स गवर्मेंट कॉलेज की छात्... | Could not write with my mouth, my mother taught me to write with feet, chandigarh

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