'मेनका ने गुस्से में शादी की अंगूठी संजय पर फेंक दी और इंदिरा सन्न रह गईं'
रशीद किदवई की पुस्तक- ‘24 अकबर रोड’ से साभार1974 में जब संजय गांधी की मेनका गांधी से शादी हुई, तो इंदिरा गांधी के परिवार के अंदर कोई खास बदलाव नहीं हुआ। कुछ हल्की खटास जरूर थी, लेकिन इंदिरा और सोनिया, दोनों मेनका के प्रति सहानुभूति रखती थीं। आम भारतीय परिवार की तरह बतौर बड़ी बहू सोनिया का खास मुकाम था। किचेन और खाने का मेन्यू वही तय करती थीं। मेनका की किचेन में रुचि भी नहीं थी, पर यह कोई मसला नहीं बना। वे इंदिरा गांधी को स्पीच तैयार करने में पूरी मदद करती थीं। इमरजेंसी हटने के बाद 1977 में जब इंदिरा गांधी सत्ता से बाहर थीं, और जनता सरकार के निशाने पर थीं, तो मेनका सूर्या मैगजीन संभालती थीं, और इसका इस्तेमाल उन्होंने इंदिरा के विरोधियों पर हमलावर होने में किया। मैगजीन के जरिए मेनका ने खुद को पारिवारिक हितों की सबसे प्रखर रक्षक के रूप में साबित किया और उन लोगों को भी बेनकाब किया, जो इंदिरा की छवि को नुकसान पहुंचाना चाहते थे। हालांकि जब-तब परिवार के अंदर झगड़े भी होते रहे।
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