अथ श्री इवीएम (EVM) कथा .... 

Amit Raj  Wednesday 22nd of May 2019 05:54 PM
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इस बार का लोकसभा चुनाव जितना मजेदार रहा है उससे कहीं ज्यादा मजेदार ईवीएम (EVM) का विवाद रहा है। वैसे तो यह बैटरी से चलता है जिसके कारण इसे पूरे भारत में आसानी से उपयोग में लाया जाता है, साथ ही कम वोल्टेज के कारण ईवीएम से किसी भी मतदाता को बिजली का झटका लगने का भी डर नहीं रहता है। लेकिन इसकी कोई गारंटी नहीं है कि इससे नेता जी को भी झटके नहीं लगेंगे।


खैर आइये जानते है की इस ईवीएम का जन्म कहाँ ,कब  और किस जाति-गोत्र में हुआ।


पहले भारतीय ईवीएम का आविष्कार 15 अक्तूबर  1980 में “एम बी हनीफा” के द्वारा किया गया था और नाम रखा “इलेक्ट्रॉनिक संचालित मतगणना मशीन"।भारत में पहली बार EVM का प्रयोग 1982 में केरल से शुरू हुआ था। इसके बाद तो धड़ल्ले से धीरे धीरे सब जगह इसी पर चुनाव होने लगा। लेकिन मूल नक्षत्र में जन्मे इस ईवीएम पर संकट के बादल मंडरा रहे थे।और वो समय आ ही गया जब इसको गुनाहगार ठहराकर कठघरे में खड़ा कर दिया गया। पहला लांछन लगाया वर्ष 2009-10 में लाल कृष्ण आडवाणी ने। क्यों? क्योंकि इनकी पार्टी भाजपा हार गयी थी।


आजकल हर चुनाव के बाद इस नए वोटिंग करने के तरीके पर सवाल खड़े किये जाते हैं,खासकर हारने वाले के द्वारा।

अब आइये बात करते है लोकसभा चुनाव 2019 की जिसका चुनाव तो संपन्न हो गया है लेकिन बवाल अब भी जारी है बवाल नहीं बोलिए ई बार तो भयंकर बवाल मचा है। कारण है कि एग्जिट पोल में वर्तमान सरकार को पूर्ण बहुमत से भी ज्यादा का आंकड़ा दिखा दिया गया है।अब ये बात पचाए नहीं पच रही की इतनी गाली देने के बाद भी ससुरा ऐसा कैसे हो गया ? सोशल मीडिया पर इवीएम से जुड़ा कोई भी विडियो आता है सारी विपक्षी पार्टी उसको लेकर दौड़े-दौड़े चुनाव आयोग के पास भागी चली जाती है। आजकल विपक्षी पार्टी का कोई भी कार्यकर्ता पलक तक नहीं झपका रहा, दूरबीन ले कर हर उस सड़क की निगहबानी कर रहा जहाँ से इवीएम गुजरती हुई स्टोर रूम तक जाती है, क्योंकि इन्हें ख़ुफ़िया सूत्रों के हवाले से खबर मिली है कि वर्तमान सरकार इवीएम ही बदल देना चाहती है ताकि जीत का आंकड़ा पार कर सके। विपक्ष के एक नेता जी नींद में भी बडबडा रहे ,रह रहकर नींद टूट जाती है और मध्यरात्री में भी एक दौरा स्टोर रूम का कर ले रहे है। सुबह होते ही फिर चुनाव आयोग के पास दौड़ लगाना शुरू कर देते है , चुनाव आयोग के फटकार के बाद सुप्रीम कोर्ट जाते है बड़े नेता जी आगे-आगे बाकी छोटकन पीछे पीछे।


चुनाव के समय जो एक दुसरे को गाली भर-भर कर कोस रहे थे आज स्टोर रूम के गेट पर 'हम साथ साथ है' मूवी देख रहे। मेरठ में नेता जी ने बाकायदा टेंट ही लगा दिया है जिसमें टीवी पर स्‍ट्रांग रूम के सीसीटीवी की लाइव फीड आती है। अंदर बैठे कर्मचारी भी खूब मज़े ले रहे जान बुझकर फूटेज बंद कर देते है और नेता जी धोती समेटे स्ट्रांग रूम की ओर दौड़ लगाने लगते है।


गजब का नज़ारा देखने को मिल रहा है। अब तक तक सबसे धमाकेदार वेब सीरीज में 2019 का लोकसभा चुनाव रहा है। वहीँ  भाजपा के नेता इन सब से दूर चाय की चुस्की के साथ डिनर का आनंद ले रहे है मनोरंजन के लिए समाचार चैनल पर विपक्षियों के भाषण सुन रहे।


बेचारा इवीएम भी बहुत परेशान हो चुका है हर कोई उसपर लांछन लगा रहा है सिवाय सत्तारूढ़ पार्टी,अब इस माहौल में इवीएम उनके पक्ष में बोल देता है तो भला उसकी क्या गलती? संकट के समय में तो मनुष्य भी उसी के पास जाता है जो उसकी भावनाओं को समझे उसकी कद्र करे।

 

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