संपत्ति जब्त करने के खिलाफ दायर दीवान चंद बिल्डर्स की याचिका खारिज
दिल्ली उच्च न्यायालय ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) की ओर से दिल्ली स्थित दीवान चंद बिल्डर्स की संपत्ति जब्त करने को चुनौती देने वाली याचिका मंगलवार को खारिज कर दी।न्यायमूर्ति जे. आर. मिधा ने याचिका खारिज करने के साथ ही याचिकाकर्ता को 2.05 करोड़ रुपये से अधिक के बकाया का 20 प्रतिशत भुगतान ईपीएफओ को करने का भी आदेश दिया।
ईपीएफओ के स्थायी वकील सत्पाल सिंह ने बताया कि बकाये का 2.05 करोड़ रुपये का ईपीएफओ को भुगतान करने में असफल रहने पर निर्माण कंपनी के कार्यालय और दो वाहनों को 16 मई को जब्त किया गया था। इसके विरोध में इस भवन निर्माण कंपनी ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था लेकिन न्यायालय ने उसकी याचिका खारिज कर दी और उसे बकाये का 20 फीसदी भुगतान करने को कहा।
न्यायालय ने कहा कि कंपनी पहले बकाया राशि का 20 फीसदी भुगतान करे फिर अपनी संपत्ति को जब्ती से मुक्त करने का अनुरोध करे।
ईपीएफओ के दिल्ली (मध्य) कार्यालय के वसूली विभाग ने कर्मचारियों के बकाये का भुगतान करने में असफल रहने पर दिल्ली की इस निर्माण कंपनी की संपत्ति जब्त की थी। ईपीएफओ ने दीवान चंद बिल्डर्स प्रा. लि. के दक्षिण दिल्ली के ग्रेटर कैलाश स्थित कार्यालय और दो कारें मर्सडीज बेंज तथा मारुति सुजुकी जब्त कर ली थी। इसके साथ ही ईपीएफओ ने बकाये के भुगतान के लिए 2.05 करोड़ रुपये का चेक भी कंपनी से लिया था।
क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त-2 (मध्य दिल्ली) कुमार पुनीत ने बताया कि विभाग सभी प्रतिष्ठानों से बकाये की वसूली के पूरे प्रयास कर रहा है।
ईपीएफओ ने कर्मचारी भविष्य निधि एवं विविध प्रावधान अधिनियम, 1952 की धारा 7ए के तहत विभाग ने कर्मचारियों की बकाया राशि का निर्धारण किया था। कंपनी को 20538982 रुपये का भुगतान ईपीएफओ को करना है। बकाया राशि का भुगतान करने में असफल रहने पर ईपीएफओ के वसूली विभाग ने एक अप्रैल को कंपनी के खिलाफ कार्रवाई शुरू की थी।
श्री पुनीत के अलावा प्रवर्तन विभाग (विधि) अक्षय मित्तल और वकील अवीक मिश्रा भी विभाग का पक्ष रखने के लिए न्यायालय में उपस्थित थे। वरिष्ठ अधिवक्ता पी. पी. खुराना ने दीवान चंद बिल्डर्स का न्यायालय में पक्ष रखा।
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