'रोटी का अधिकार' देता पटना का 'रोटी बैंक' 

Amit Raj  Monday 20th of May 2019 03:32 PM
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आज एक तरफ जहाँ कोई भूख बढ़ाने के लिए घरेलू नुस्खे का इस्तेमाल कर रहा है तो कोई रात का चांपा-खाया पचाने के लिए अँधेरी सुबह से ही मॉर्निंग वॉक किए जा रहा है, सड़कों पर दौड़ लगा रहा है, सांड़-भैंसे की तरह हांफे जा रहा है तो वहीं दुसरी ओर कोई उस महान देश में भूख से दम तोड़ रहा है, जिस देश में गंगा बहती है, जहाँ मेट्रो ट्रेन फर्राटे भर रहे है और बुलेट के सपने देखे जा रहे। इस से बड़ी शर्म कि बात क्या हो सकती है?

इस भूखमरी से बिहार भी अछूता नहीं रहा है । यहाँ भी आये दिन कहीं न कही से ऐसी खबरें देखने को मिल ही जाती हैं। ऐसे में बिहार की एक टोली 15 जून 2017 से रात 8 से 9 बजे तक निःस्वार्थ भाव से पटना की सड़कों पर घूम घूमकर भूखे को भोजन करा रही है ताकि कोई भी व्यक्ति भूखा न सोये। ये लोग है - बिहार यूथ फोर्स के संयोजक ऋषिकेश नारायण सिंह द्वारा संचालित "रोटी बैंक" के वो कर्मठ समाजसेवी जिन्होंने ये दृढ निश्चय कर रखा है की समाज के किसी भी व्यक्ति को भूखे सोने नहीं दिया जाएगा। पटना के ये वाशिंदे गरीबों को अन्य मौलिक अधिकारों की तर्ज़ पर "रोटी का अधिकार" दे रहे है।

Rishikesh Narayan Singh 


अपने परिवार का भरण-पोषण, उसकी सहायता तो जीव-जन्तु, पशु-पक्षी भी करते हैं परन्तु मनुष्य ऐसा प्राणी है, जो सपूर्ण समाज के उत्थान के लिए प्रत्येक पीडित व्यक्ति की सहायता का प्रयत्न करता है । किसी भी पीड़ित व्यक्ति की निःस्वार्थ भावना से सहायता करना ही समाज-सेवा है। ऋषिकेश नारायण सिंह भी ऐसे ही एक समाज-सेवी है जिन्होंने अपने समाज के लोगों के दर्द उनकी पीड़ा को समझ "रोटी बैंक" की स्थापना की जिसके तहत सड़कों के किनारे फुटपाथ पर खुले आसमान के नीचे दिन और रात गुजारने वाले गरीब गुरबों की भूख को शांत किया जाता है। ऋषिकेश नारायण सिंह का कहना है कि कोई भी समाज तभी खुशहाल रह सकता है जब उसका प्रत्येक व्यक्ति दुःखों से बचा रहे । किसी भी समाज में यदि चंद लोग सुविधा-सम्पन्न हों और शेष कष्टमय जीवन व्यतीत कर रहे हों, तो ऐसा समाज उन्नति नहीं कर सकता ।


अब कोई भूखा नहीं सोएगा...की टैग लाइन के साथ पटना में शुरू हुयी रोटी बैंक आज अपने सफलतम 2 वर्ष पूरा करने जा रही है। ऋषिकेश नारायण सिंह बताते हैं- "जाड़े के दिन में जब गांधी मैदान में प्रकाश पर्व चल रहा था, तो एक दिन देखा कि कचरे की पेटी से एक आदमी खाना निकाल कर खा रहा है। यह देख आइडिया आया रोटी बैंक का। लोगों के घर, होटल पार्टी-फंक्शन वाले घरों में इतना खाना बर्बाद होता है, जिससे कई लोगों की भूख मिट सकती है। जरूरत है उसे एक जगह इकट्ठा कर जरूरतमंदों के बीच वितरित करने की।" शुरुआत में कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बावजूद भी हर मौसम हर हर दिन ये सेवा में निरंतर लगे हुए है। बाद में हाथ से हाथ मिलते गए और असहाय लोगों की भूख मिटाने का सिलसिला बढ़ता गया। इसमें पटना के कई घरों से लोगों ने रोटी देने का वादा किया जिसे रोटी बैंक द्वारा एक सब्जी या आचार के साथ एक पैकेट बनाकर फुटपाथ पर रहने वाले गरीबों तक पहुंचाया जाता है।

आज इस मुहीम में कई लोग जुड़ चुके हैं और करीब 400-500 लोगों को प्रतिदिन भोजन कराया जाता है। शहर के कई परिवार स्वेच्छा से भोजन तैयार कर इन्हें रोटी दान देते है, कल तक जो खाने कूड़ेदान में सड़ रहे होते थे आज अनेक रेस्टोरेंट और होटल वाले अपने उन बचे खाने को "रोटी बैंक" के माध्यम से जरुरतमंदों तक पहुंचा रहे है। ये रोटी बैंक गरीबों को भोजन कराने के साथ समाज को सन्देश भी देती है।शादी और अन्य शुभ मौकों पर होने वाली पार्टियों में हम ना जाने कितने खाद्य पदार्थ थाली में लेकर फेंक दिया करते है,कभी भी हम या हमारा समाज खुशियों के इस मौके पर इन बातों पर गौर नहीं करता। वो स्वतंत्र रूप से कहते दिखते है की ऐसे मौकों पर तो ऐसा होता ही है। हमें इसी सोच को बदलना होगा आपके-हमारे द्वारा फेंका गया भोजन किसी व्यक्ति की जान भी बचा सकता है। इसलिए भोजन को व्यर्थ न करें। अपने सामाजिक उत्तरदायित्व को समझे और उसे जरूरतमंदों तक पहुंचाएं। ऐसी अद्भुत और अनोखी मुहीम बिहार के गौरव में चार चाँद लगाती है। ऋषिकेश नारायण सिंह और उनकी सम्पूर्ण सेना बिहार के युवाओं को समाज-सेवा के लिए प्रेरित करती है ऐसे लोगों पर सिर्फ समाज ही नहीं सम्पूर्ण देश गौरव करता है।

 

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