मोदी सरकार ने फिर वित्त मंत्रालय के 15 पदाधिकारियों को जबरन रिटायर किया 

Team Suno Neta Tuesday 18th of June 2019 06:18 PM
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नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने एक बार फिर वित्त मंत्रालय से भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों को बाहर का रास्ता दिखाया है। मंगलवार को मंत्रालय ने टैक्स विभाग के 15 वरिष्ठ अधिकारियों को जबरन रिटायर  किया है। नियम 56 के तहत केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर व कस्टम बोर्ड के मुख्य आयुक्त, आयुक्त और अतिरिक्त आयुक्त स्तर के अधिकारियों को समय से पहले रिटायर किया गया है।

इन सभी अधिकारियों पर पद पर रहते हुए नियमावली के विपरीत कार्य करने का दोषी पाया गया है। सरकार ने विभिन्न जांच एजेंसियों द्वारा सिफारिश मिलने के बाद ऐसा करने का निर्णय लिया है। यह विभाग भी वित्त मंत्रालय के अंदर आता है।

इन 15 अधिकारियों में से 11 के खिलाफ CBI मामले और दो के खिलाफ रेवेन्यू डिपार्टमेंट के केस दर्ज थे। ये सभी अधिकारी कमिश्नर या ऊपर रैंक के हैं।

वित्त मंत्रालय की ओर से जारी बयान के अनुसार, इन अधिकारियों को नियम-56 के तहत कार्यमुक्त किया गया है। नियम 56 सार्वजनिक हित को देखते हुए प्रयोग में लाया जाता है जिसके माध्यम से नौकरशाहों की कार्यकाल को खत्म किया जाता है। यह ज्यादातर भ्रष्टाचार के मामले में प्रयोग में आता है। इसमें 25 साल का कार्यकाल और 50 की उम्र को पार करने वालों का कार्यकाल खत्म कर उन्हें रिटायर कर दिया जाता है।

सरकार ने ऐसी ही कार्रवाई में पिछले हफ्ते ज्वाइंट कमिश्नर अशोक कुमार अग्रवाल, कमिश्नर संजय कुमार श्रीवास्तव, कमिश्नर अलोक कुमार मित्रा, कमिश्नर अरुलप्पा बी, कमिश्नर अजोय कुमार सिंह, कमिश्नर बीबी राजेंद्र प्रसाद, कमिश्नर होमी राजवंश, कमिश्नर स्वेताभ सुमन, एडिशनल कमिश्नर अंदासु रविंद्र, एडिशनल कमिश्नर विवेक बत्रा, एडिश्नल कमिश्नर चंद्रसेन भारती और असिस्टेंट कमिश्नर राम कुमार भार्गव को रिटायर किया था।

इन अधिकारियों को तीन महीने की तनख्वाह और भत्ते दिए जाएंगे। रिटारमेंट के आदेश 11 जून से लागू हो गए।

सरकार की ताजा कार्रवाई में सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्स (CBIT) अधिकारियों को हटाया गया है।इन 15 अधिकारियों में से 11 के खिलाफ CBI मामले और दो के खिलाफ रेवेन्यू डिपार्टमेंट के केस दर्ज थे। ये सभी अधिकारी कमिश्नर या ऊपर रैंक के हैं।

इस सूची में सबसे पहला नाम प्रिंसीपल कमिश्नर अनूप श्रीवास्तव का है। उनके खिलाफ CBI के दो मामले दर्ज हैं। इसके अलावा उन पर उत्पीड़न, वसूली और आय से अधिक संपत्ति का केस दर्ज है।

बता दें कि एक दूसरे मामले में केंद्रीय विजिलेंस कमीशन भ्रष्टाचार के मामलों में लिप्त 123 सरकारी कर्मचारी और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए अलग-अलग विभागों की मंजूरी का इंतजार कर रहा है। इन अधिकारियों में IAS अधिकारी, CBI और ED जैसी जांच एजेंसियों में काम करने वाले अधिकारी भी शामिल है। इन आरोपियों में सबसे ज्यादा 45 अधिकारी सरकारी बैंकों के हैं। नियमों के मुताबिक, चार महीने के भीतर यह मंजूरी मिल जाती है।


 

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