महाराष्ट्र के पालघर में दो साधु समेत तीन लोगों की ‘गलत पहचान के कारण’ मॉब लिंचिंग
नई दिल्ली: महाराष्ट्र के पालघर जिले में गुरुवार रात भीड़ द्वारा दो साधुओं और उनके ड्राइवर की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई जब वे मुंबई से सिलवासा जा रहे थे। यह घटना कासा पुलिस के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत गदाकिंचल गांव के पास हुआ।
दो साधुओं की पहचान 70-वर्षीय चिकने महाराज कल्पवृक्ष गिरि और 35-वर्षीय सुशील गिरी महाराज के रूप में की गई। रिपोर्टों में कहा गया है कि वे वाराणसी के श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के थे।
शुरुआती रिपोर्टों के अनुसार ग्रामीणों ने उनके कार को एक अफवाह के चलते रोका की चोर इलाके में घूम रहे हैं। इसके बाद चालक और दोनों यात्रियों को घसीटकर बहार निकला और उनके ऊपर लाठी और लोहे की रॉड से बेरहमी से पिटाई शुरू कर दी।
पालघर जिले के पुलिस अधीक्षक गौरव सिंह ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, "हमारे द्वारा प्राप्त जानकारी से संकेत मिलता है कि एसयूवी में तीनों लोग मुंबई के कांदिवली के निवासी थे और सिलवासा में एक अंतिम संस्कार में शामिल होने जा रहे थे।"
मोबाइल फोन पर इस घटना के कुछ वीडियो सामने आए हैं। उनमे से काम से काम एक में देखा गया है कि कुछ पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में भीड़ ने तीनों को पीट-पीटकर हत्या कर दी। एक क्लिप में यह देखा गया कि पीड़ितों में से एक को खून से लथपथ अवस्था में भीड़ से बचने के लिए मौके पर मौजूद पुलिसकर्मी की ओर भागा पर पुलिसवाला उससे अपना हाथ छुड़ा लिया और हट गया।
मीडिया को जानकारी देते हुए कासा के एक पुलिस अधिकारी ने कहा, “हमारे एक गश्ती वाहन ने बाद में सड़क पर पड़े गंभीर रूप से घायल तीनों को देखा और जांच करने के लिए रुक गए। हालांकि हमारी टीम पर भी भीड़ ने हमला किया और वाहन पर पथराव किया। हमारे लोगों को भागना पड़ा और पीड़ितों को बचाने में असमर्थ रहे।”
इसके बाद उन्होंने कहा, "प्रारंभिक दृष्टि से यह लगता है कि तीनों चोर होने के गलत संदेह में फास गए और उन पर इसीलिए हमला किया गया। चल रहे (कोरोनावायरस के चलते) लॉकडाउन (तालाबंदी) और आवश्यक आपूर्ति की अनुपलब्धता के कारण ग्रामीण तनाव में थे। पिछले कुछ दिनों से कई अफवाहें सोशल मीडिया पर चल रही हैं कि चोरों और डकैतों द्वारा राजमार्ग पर गांवों को लक्षित किया जा रहा है। इसके नतीजतन ग्रामीण राजमार्ग पर गश्त कर रहे थे और देर रात यात्रियों को संदेह के आधार पर रोका और फिर यह घटना हुआ।”
अन्य रिपोर्टों में कहा गया है कि उन्हें बच्चा चोर होने के संदेह पर मारा गया। पिछले कुछ वर्षों में देश भर में दर्जनों लोग अफवाहों के चलते संदेह के घिरे में फास गए और भीड़ के हाथों अपनी जान गावनि पड़ी। इन अफवाहों को विशेष रूप से व्हाट्सएप मैसेजिंग ऐप पर प्रसारित किया जाता रहा है।
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, दो साधु अपने ड्राइवर के साथ पहले राष्ट्रीय राजमार्ग से दादरा और नगर हवेली के सिलवासा जाने की कोशिश की। लेकिन उन्हें पुलिसकर्मियों ने कोरोनावायरस लॉकडाउन के वजह से रोक दिया। इसके बाद उन्हें लगता है कि पालघर जिले में विक्रमगढ़ से होते हुए लंबा रास्ता से जाना तय किया जहाँ यह घटना घटी।
इस बीच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने घटना की जांच का आदेश दिया और अपराधियों को पकड़ने के लिए पुलिस को सख्त निर्देश दिए। खबरों के मुताबिक, मामले में 100 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है जिनमें कई नाबालिग भी शामिल है।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने भी इस घटना पर कार्रवाई की। एक बयान में NHRC ने कहा कि उसने चार सप्ताह में एक विस्तृत रिपोर्ट मांगी है, जिसमें पुलिस की “कार्रवाई” रिपोर्ट भी शामिल है। बयान में NHRC ने कहा, “घटना के संबंध में एक शिकायत के आधार पर, 16 अप्रैल को पालघर जिले में पुलिस कर्मियों की उपस्थिति में तीन व्यक्तियों की भीड़ द्वारा हत्या किए जाने पर महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी किया गया था।” NHRC ने यह भी कहा कि घटना “लोक सेवकों द्वारा लापरवाही” का संकेत है और यह “पीड़ितों के जीवन के अधिकार का घोर उल्लंघन” है।
Two sadhus, their driver lynched in Maharashtra’s Palghar over ‘mistaken identity’
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