लोकसभा में रखा गया तीन तलाक़ बिल, कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने किया विरोध 

Amit Raj  Friday 21st of June 2019 12:38 PM
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नई दिल्ली: लोकसभा में आज एक बार फिर तीन तलाक को गैर कानूनी ठहराने वाला मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक पेश किया गया। 17वीं लोकसभा के गठन के बाद नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का यह पहला बिल है। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद संसद में तीन तलाक बिल पेश किया। सरकार के पिछले कार्यकाल में भी तीन तलाक पर बिल लाया गया था लेकिन लोकसभा से पारित हो जाने के बाद यह बिल राज्यसभा से पास नहीं हो पाया था। सरकार इसके लिए अध्यादेश भी लेकर आई थी, जिसकी जगह यह विधेयक लेगा।

कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सदन में विधेयक पेश करते हुए कहा कि विधेयक पिछली लोकसभा में पारित हो चुका है लेकिन सोलहवीं लोकसभा लोकसभा का कार्यकाल समाप्त होने के कारण और राज्यसभा में लंबित रहने के कारण यह निष्प्रभावी हो गया और सरकार इसे दोबारा इस सदन में लेकर आई है। उन्होंने विधेयक को लेकर विपक्ष के कुछ सदस्यों की आपत्ति को सिरे से दरकिनार करते हुए संविधान के मूलभूत अधिकारों का हवाला दिया जिसमें महिलाओं और बच्चों के साथ किसी भी तरह से भेदभाव का निषेध किया गया है।

नवनियुक्त स्पीकर ओम बिरला ने केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद से विधेयक को आगे बढ़ाने का आदेश दे दिया। विपक्ष के विरोध के बाद सरकार ने इसमें कुछ बदलाव किए हैं-

  1. इस मामले में एफआईआर तभी स्वीकार्य की जाएगी जब पत्नी या उसके नजदीकी (रक्त संबंध हो) रिश्तेदार दर्ज कराएंगे।
  2. पति और पत्नी के बीच मैजिस्ट्रेट समझौता करा सकते हैं, अगर बाद में दोनों के बीच इसकी पहल होती है। इससे पहले के बिल में इसके लिए प्रावधान नहीं थे।
  3. तत्काल तीन तलाक अभी गैरजमानती अपराध बना रहेगा लेकिन अब इसमें ऐसी व्यवस्था कर दी गई है, जिसके बाद मैजिस्ट्रेट इसमें जमानत दे सकता है लेकिन इससे पहले पत्नी की सुनवाई करनी होगी। इससे पहले बिल में तीन साल की सजा के प्रावधान के बाद जमानत की गुंजाइश नहीं दी गई थी।

बता दें कि लोकसभा में पहले ध्वनि मत से प्रस्ताव पास कराने की बात कही गई हालांकि विपक्ष ने डिवीजन कराने की बात कही जिसके बाद वोटिंग कराया गया।

जिसमें तीन तलाक बिल के पक्ष में 186 वोट और विरोध में 74 वोट पड़े। बिल को पेश किए जाने के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्षी सांसदों, खासतौर पर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) नेता और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी के बीच तीखी बहस हुई।

बिल को पेश करते हुए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, “पिछले साल दिसंबर में लोकसभा से पारित किया, राज्यसभा में पेंडिंग था। चूंकि राज्यसभा का कार्यकाल समाप्त हो गया तो नई लोकसभा में संविधान की प्रक्रिया के तहत नए सिरे से नया बिल लाए हैं। कानून पर बहस और उसकी व्याख्या अदालत में होती है, लोकसभा को अदालत मत बनाएं।”

विपक्ष की आपत्तियों का जवाब देते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा, "शायरा बानू के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तीन तलाक का मामला मनमाना और असंवैधानिक है। यह सवाल न सियासत का है, न इबादत का, न धर्म का, न मजहब का। यह सवाल है नारी के साथ न्याय और गरिमा का। भारत के संविधान में आर्टिकल 15 लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं होने की बात कहता है।"

उन्होंने कहा, “70 साल बाद क्या संसद को नहीं सोचना चाहिए कि 3 तलाक से पीड़ित महिलाएं सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी न्याय की गुहार लगा रही हैं तो क्या उन्हें न्याय नहीं मिलना चाहिए। 2017 से 543 केस तीन तलाक के आए, 239 तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आए। अध्यादेश के बाद भी 31 मामले सामने आए। इसीलिए हमारी सरकार महिलाओं के सम्मान और गरिमा के साथ है।”

असदुद्दीन ओवैसी ने तीन तलाक बिल संविधान के आर्टिकल 14 और 15 का उल्लंघन बताकर विरोध किया। ओवैसी ने बिल को मुस्लिमों के साथ भेदभाव करने वाला बताया। एआइएमआइएम सांसद ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि एक बार में तीन तलाक से शादी खत्म नहीं हो सकती। अगर किसी नॉन-मुस्लिम पति पर केस हो तो उसे एक साल की सजा, लेकिन मुस्लिम पति को 3 साल की सजा। यह भेदभाव संविधान के खिलाफ है। यह महिलाओं के हितों के खिलाफ है।अगर पति जेल में रहा तो महिलाओं को मैंटिनंस कौन देगा? क्या सरकार देगी।”

कांग्रेस ने भी तीन तलाक बिल पेश किए जाने का विरोध किया। तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने बिल का विरोध करते हुए कहा, “मैं तीन तलाक का विरोध नहीं करता लेकिन इस बिल का विरोध कर रहा हूं। तीन तलाक को आपराधिक बनाने का विरोध करता हूं। मुस्लिम समुदाय ही क्यों, किसी भी समुदाय की महिला को अगर पति छोड़ता है तो उसे आपराधिक क्यों नहीं बनाया जाना चाहिए। सिर्फ मुस्लिम पतियों को सजा के दायरे में लाना गलत है। यह समुदाय के आधार पर भेदभाव है जो संविधान के खिलाफ है।”

रविशंकर प्रसाद ने कहा कि  आज बहुत पीड़ा की बात है कि ओवैसी तीन तलाक का विरोध करे समझ आता है लेकिन आज पूरी कांग्रेस विरोध कर रही थी क्यों?


 

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