त्रावणकोर देवासम बोर्ड ने यू-टर्न लेते हुए सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश का किया समर्थन  

Team Suno Neta Wednesday 6th of February 2019 04:22 PM
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नई दिल्ली: केरल के सबरीमाला मंदिर में चलने वाले त्रावणकोर देवासम बोर्ड (TDB) ने 6 फरवरी को अपने फैसले से सुप्रीम कोर्ट में यू-टर्न ले लिया और सभी आयु वर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश का समर्थन किया है। 

बोर्ड ने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ को बताया कि अब समय है कि “जैविक लक्षण” के आधार पर किसी विशेष वर्ग के साथ भेदभाव नहीं किया जाता है।

TDB की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कहा, “अनुच्छेद 25 (1) समान रूप से सभी व्यक्तियों को धर्म का पालन करने का अधिकार देता है।”
बोर्ड ने इससे पहले भारतीय युवा वकील एसोसिएशन द्वारा जनहित याचिका का विरोध किया था जिसमें कहा गया था कि सबरीमाला मंदिर में भगवान अयप्पा का ब्रह्मचर्य चरित्र एक अद्वितीय धार्मिक विशेषता थी जिसे संविधान के तहत संरक्षित किया गया था।

पत्रकारों से बात करते हुए TDB प्रमुख ने कहा, “हम सुप्रीम कोर्ट द्वारा 28 सितम्बर को दिए गए फैसले में विश्वास करते हैं कि अब कोई भी भेदभाव नहीं होना चाहिए।”

द्विवेदी ने कहा कि महिलाओं को जैविक लक्षण पर जीवन के किसी भी दायरे में बाँधा नहीं जा सकता है। समानता संविधान का प्रमुख विषय है।
सुप्रीम कोर्ट ने सभी उम्र की महिलाओं के सबरीमाला मंदिर में प्रवेश की अनुमति देने वाले फैसले की समीक्षा करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।

28 सितंबर को 4:1 के फैसले में तत्कालीन CJI दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में पांच-न्यायाधीशों की एक संविधान पीठ ने सभी उम्र की महिलाओं के लिंग में भेदभाव पर प्रतिबंध लगाने का मार्ग प्रशस्त किया था और मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश की इजाज़त दी थी।


 

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