सुप्रीम कोर्ट ने कहा ‘हम पटाखे पर प्रतिबंध लगा करके लोगों का रोजगार नहीं छीन सकते’
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि वह लाखों परिवारों को पटाखों के निर्माण से नहीं रोक सकता है जो अपनी आजीविका के लिए इसके निर्माण पर निर्भर हैं। कोर्ट ने कहा कि वह “लोगों को भूखा नहीं रहने दे सकती” और “बेरोजगारी उत्पन्न” नहीं कर सकती है।
न्यायमूर्ति एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ ने कहा कि अधिकारियों को इस बात का पता लगाने की जरूरत है कि क्या ऑटोमोबाइल के कारण प्रदूषण का कोई तुलनात्मक अध्ययन किया गया है? ऐसा लगता है कि आप पटाखों को ही प्रदूषण का कारण मान रहें हैं। लेकिन बड़ा प्रदूषण योगदानकर्ता शायद वाहन है।
न्यायमूर्ति बोबडे ने पीठ का नेतृत्व करते हुए एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान अवलोकन किया कि वे प्रदूषण के कारण जमीन पर पटाखे फोड़ने पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं और उन्होंने कहा, “हम पैसा या नौकरी नहीं दे सकते हैं या ऐसे लोगों का समर्थन करेंगे जो हार जाएंगे अगर हम पटाखे बनाने वाली फ़ैक्टरियों को बंद करते हैं तो उनमे काम करने वाले लोगों की नौकरियां चली जाएँगी। हम बेरोजगारी उत्पन्न नहीं करना चाहते हैं।”
सुप्रीम कोर्ट ने बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए प्रदूषण फैलाने वाले पटाखों के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया था और अक्टूबर 2018 में उनके उपयोग को प्रतिबंधित कर दिया था। प्रतिबंध के बाद पटाखा फ़ैक्टरियों ने सुप्रीम कोर्ट में यह दलील दी कि कोर्ट के निर्देश ने तमिलनाडु के शिवकाशी जिले में परिवारों को उनकी आजीविका से वंचित कर दिया था।
जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ताओं के बेटे दो नाबालिगों द्वारा दायर की गई थी। न्यायमूर्ति बोबडे ने फ़ैक्टरियों द्वारा दी गयी दलील पर सहमति व्यक्त करते हुए कहा, “कानूनी व्यापार पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है। सर्वोत्तम लाइसेंस शर्तों को बदलने की आवश्यकता है। हम लोगों को भूखे नहीं रहने दे सकते क्योंकि कुछ अन्य लोगों को लगता है कि पटाखे अच्छे नहीं हैं।”
कोर्ट ने मामले को 3 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दिया।
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