इलेक्टोरल बॉन्ड के तहत कितना चंदा मिला, पार्टियां बताएं: सुप्रीम कोर्ट 

Shruti Dixit  Friday 12th of April 2019 05:46 PM
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सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: राजनीतिक दलों को चंदा देने से संबंधित चुनावी बॉन्ड पर रोक नहीं लगेगी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अंतरिम आदेश जारी किया है। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि ऐसे सभी दल, जिनको चुनावी बॉन्ड के जरिए चंदा मिला है वो सील कवर में चुनाव आयोग को ब्योरा देंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सभी राजनीतिक दल चुनावी बॉन्ड के जरिये मिली रकम की जानकारी सील कवर में चुनाव आयोग के साथ साझा करें। कोर्ट ने जानकारी साझा करने के लिए 30 मई की समय-सीमा निर्धारित की है और कहा है कि पार्टियां प्रत्येक दानदाता का ब्योरा सौंपे।

चुनाव आयोग इसे सेफ कस्टडी में रखेगा। दूसरी तरफ, सुप्रीम कोर्ट मामले की विस्तृत सुनवाई की तारीख तय करेगा। आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने कोर्ट से कहा था कि वह चुनाव प्रक्रिया के दौरान चुनावी बॉन्ड के मुद्दे पर आदेश पारित न करे।

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने कहा, “हमने मामले पर विचार किया। हमने चुनाव आयोग के पक्ष को संज्ञान में लिया है। फिलहाल के लिए, अभी इस मामले में और सुनवाई की आवश्यकता है। इस मामले में थोड़े समय में ही किसी निर्णय पर नहीं पहुंचा जा सकता है। अदालत को अंतरिम व्यवस्था सुनिश्चित करनी है और ये किसी भी पार्टी के पक्ष में नहीं होना चाहिए।”

कोर्ट ने वित्त मंत्रालय को ये निर्देश दिया है कि अप्रैल-मई महीने में इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने की सीमा को 10 दिन से घटाकर पांच दिया किया जाए। मालूम हो कि इसी बीच देश में लोकसभा चुनाव के लिए वोट डाले जा रहे हैं। 

बीते गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर अगर इलेक्टोरल बॉन्ड को चुनावी फंडिंग को पारदर्शी बनाने के लिए लाया गया है और इसके जरिए चंदा देने वाले की पहचान गोपनीय रखी जा रही है तो इसकी वजह से सरकार द्वारा चुनावों के दौरान काले धन पर रोक लगाने की कोशिशों पर पानी फिर जाएगा। मोदी सरकार इलेक्टोरल बॉन्ड को जारी रखना चाहती है, हालांकि याचिकाकर्ताओं और चुनाव आयोग का कहना है कि इसकी वजह से राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे की पारदर्शिता पर गंभीर खतरा है।


 
 

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