सुप्रीम कोर्ट ने कहा आधार संवैधानिक रूप से वैध, कुछ अनिवार्य शर्तों को किया रद्द 

Team Suno Neta Wednesday 26th of September 2018 01:40 PM
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को आधार एक्ट को संवैधानिक रूप से वैध घोषित कर दिया है लेकिन इसके कुछ शर्तों को रद्द किया जिसमे आधार अनिवार्य था – जिसमें बैंक खातों, मोबाइल नंबरों और स्कूल प्रवेश शामिल हैं। भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में 5 न्यायाधीशीय संविधान खंडपीठ ने फैसले की घोषणा की।

पांच न्यायाधीशीय खंडपीठ जिसमें मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एके सिकरी, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर, न्यायमूर्ति ए भूषण और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचुद सम्मिलित थे उन्होंने कहा कि, आईटी रिटर्न दाखिल करने और स्थायी खाता संख्या (PAN) आवंटित करने के लिए आधार अनिवार्य रहेगा, लेकिन बैंक खातों और दूरसंचार कंपनियों के लिए ग्राहक मोबाइल कनेक्शन प्राप्त करने के लिए आधार जोड़ना अनिवार्य नहीं है।

इसने आधार एक्ट की निजी संस्थाओं को अनुमति देने वाले आधार अधिनियम की धारा 57 को भी रद्द करते हुए यह फैसला दिया है कि आधार प्रमाणीकरण आंकड़ा छह महीने से अधिक समय तक जमा नहीं रखा जा सकता है।

अदालत ने कहा कि आधार समाज के अधिकारहीन वर्गों तक मदद पहुंचाने के लिए है और लोगों की गरिमा को न केवल व्यक्तिगत बल्कि समुदाय के दृष्टिकोण से भी ध्यान में रखना है। आगे कहा गया कि आधार बहुत बड़ी जनहित सेवा दे रहा है।

पांच न्यायाधीशों में से चार ने आधार अधिनियम को धन विधेयक (money bill) के रूप में पारित करने के सरकार के फैसले से सहमत थे। परन्तु न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचुद की एकमत से अलग राय थी। उन्होंने कहा, "धन विधेयक के रूप में आधार एक्ट को पारित करना संविधान के साथ धोखाधड़ी है," जब कि उन्होंने यह भी कहा कि लोकसभा अध्यक्ष का इसे मनी बिल के रूप में वर्गीकृत करने का निर्णय न्यायिक समीक्षा के अधीन हो सकता है।

इन चीजों के लिए आधार अनिवार्य है:

  • आयकर रिटर्न भरने के लिए।
  • पैन कार्ड प्राप्त करने के लिए।
  • सरकार की फायदेमंद योजनाओं और सब्सिडी का लाभ उठाने के लिए।

इन चीजों के लिए आधार अनिवार्य नहीं होगा:

  • मोबाइल से आधार जोड़ना।
  • बैंक खाते के साथ आधार जोड़ना।
  • सीबीएसई, एनईईटी, यूजीसी परीक्षाओं के लिए।
  • स्कूल प्रवेश के लिए।

सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि यदि 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों के पास आधार कार्ड नहीं हैं, तो उन्हें केंद्रीय और राज्य सरकारों द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं से वंचित नहीं किया जाएगा। अदालत ने दूरसंचार कंपनियों, ई-कॉमर्स कम्पनी, निजी बैंकों और उनके जैसे अन्य संस्थानों के लिए आधार विवरण की मांग पर भी प्रतिबंध लगा दिया है।


 

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