सुप्रीम कोर्ट के इस बड़े फैसले के बाद EPFO से ज्यादा मिलेगी पेंशन 

Shruti Dixit  Thursday 4th of April 2019 02:10 PM
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सर्वोच्च न्यायालय

नई दिल्ली सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले से प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों की बल्ले-बल्ले हो गई है। इस फैसले के साथ ही इस सेक्टर के कर्मचारियों की पेंशन में कई गुना बढ़ोतरी का रास्ता साफ हो गया है। एक अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने कर्मचारियों के हित में एक बड़ा फैसला किया। उसने कर्मचारी पेंशन स्कीम 95 से मासिक पेंशन पर केरल हाई कोर्ट के फैसले को कायम रखा। हाई कोर्ट ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) की अगस्त, 2014 की अधिसूचना रद्द कर दी थी> कोर्ट ने EPFO से ईपीएस के सब्सक्राइबरों को पूरी पेंशन देने के लिए कहा था।

ईटी की एक रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को EPFO की उस याचिका को खारिज कर दिया, जो उसने केरल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दी थी। केरल हाईकोर्ट ने रिटायर हुए सभी कर्मचारियों को उनकी पूरी सैलरी के हिसाब से पेंशन देने का आदेश दिया था। जबकि, वर्तमान में EPFO 15,000 रुपए वेतन की सीमा के साथ योगदान की गणना करता है। हालांकि, इससे PF फंड कम हो जाएगा, लेकिन ईपीएस में ज्यादा हिस्सा जाने से पेंशन में बढ़ोतरी होने पर यह गैप भर जाएगा।

थोड़ी पीछे जाएं तो साल 1995 में ईपीएस की शुरुआथ की गई थी। तब नियोक्ता कर्मचारी के वेतन का अधिकतम 6500 रुपए सालाना या 541 रुपए मासिक ही ईपीएस में जमा कर सकता था। मार्च 1996 में इस नियम में बदलाव किया गया। इस बदलाव के तहत अगर कोई कर्मचारी फुल सैलरी के हिसाब से स्कीम में योगदान देता है और नियोक्ता भी तैयार है तो कर्मचारी को उसी हिसाब से पेंशन दी जाएगी। EPF के दायरे में आने वाले कर्मचारी अब अंतिम निकाली गई सैलरी के अनुसार पेंशन के हकदार होंगे। अगर 1999-2000 में किसी की मासिक सैलरी (basic + DA) 10,000 रुपये थी, इसके बाद इसमें हर साल 10 फीसदी का इजाफा हुआ तो आज उसकी सैलरी 61,159 रुपये पर पहुंच गई होगी।

क्या था केरल हाईकोर्ट का आदेश?

आपको बता दे कि केरल हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में भविष्‍य निधि संगठन (EPFO) को कहा था कि रिटायर होने वाले कर्मचारियों को उनकी आखिरी सैलरी के आधार पर पेंशन मिले। क्योंकि अभी तक ईपीएफओ एक निधार्रित सीमा (15,000) में ही कर्मचारियों को पेंशन देता रहा है। जिसके बाद ईपीएफओ ने केरल हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट के फैसले को सही माना और ईपीएफओ की याचिका को खारिज कर दिया, जिससे अब निजी क्षेत्र में काम करने वालों को बड़ी राहत मिली है।


 
 

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