सुप्रीम कोर्ट ने योगी आदित्यनाथ पर ‘आपत्तिजनक टिप्पणी’ करने वाले स्वतंत्र पत्रकार प्रशांत कनौजिया को तुरंत रिहा करने का आदेश दिया 

Amit Raj  Tuesday 11th of June 2019 12:28 PM
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प्रशांत कनौजिया

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ “आपत्तिजनक पोस्ट” को लेकर स्वतंत्र पत्रकार प्रशांत कनौजिया की गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आदेश दिया है कि यूपी सरकार प्रशांत कनौजिया को रिहा करे। कोर्ट ने कहा कि सरकार को इस मामले में उदारता दिखाते हुए पत्रकार को तुरंत रिहा करना चाहिए। 

शीर्ष कोर्ट ने यह भी कहा कि इस तरह की टिप्पणी नहीं की जानी चाहिए, लेकिन क्या इस मामले में गिरफ्तारी न्यायपूर्ण है? राज्य सरकार को इस मामले में सही एक्शन लेना चाहिए। इससे पहले सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यूपी सरकार से पूछा, “ट्वीट क्या है, इससे मतलब नहीं है, किस प्रावधान के तहत गिरफ्तारी हुई है? सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा, हमने रिकॉर्ड देखा है, एक नागरिक के स्वतंत्रता के अधिकार में दखल दिया गया है।”

वहीं यूपी सरकार ने याचिका का विरोध किया और कहा कि गिरफ्तारी के बाद मजिस्ट्रेट के सामने ट्वीट पेश किया गया था। ट्वीट बहुत अपमानजनक था। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार के वकील से पूछा, “इस तरह की सामग्री पब्लिश नहीं होनी चाहिए लेकिन किन धाराओं के तहत ये गिरफ्तारी हुई?”

सुनवाई के दौरान जज ने कहा कि यूपी सरकार को प्रशांत कनौजिया को रिहा करने में उदारता दिखानी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि कनौजिया को तत्काल रिहा किया जाना चाहिए, लेकिन उन पर केस चलता रहेगा।

जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस अजय रस्तोगी की बेंच ने कहा कि नागरिकों की स्वाधीनता अटल है। इससे कोई समझौता नहीं किया जा सकता। यह स्वतंत्रता हमें संविधान से मिली है और इससे कोई छेड़छाड़ नहीं हो सकती।

प्रशांत कनौजिया की गिरफ्तारी को लेकर अब कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी भी उतर आए हैं। राहुल गांधी ने ट्वीट किया कि अगर पत्रकार ऐसे ही गिरफ्तार किए जाते रहे तो समाचार चैनलों और अखबार वालों को पत्रकारों की भारी कमी से जूझना होगा। राहुल गांधी ने ट्वीट में लिखा, “अगर मेरे खिलाफ झूठी या मनगढ़ंत रिपोर्ट लिखने वाले या आरएसएस/बीजेपी प्रायोजित प्रोपैगेंडा चलाने वाले पत्रकारों को जेल में डाल दिया जाए तो अधिकतर अखबार/न्यूज चैनलों को स्टाफ की गंभीर कमी का सामना करना पड़ सकता है। यूपी के सीएम का व्यवहार मूर्खतापूर्वक हैं और गिरफ्तार पत्रकारों को रिहा करने की जरूरत है।”

बता दें कि प्रशांत की पत्नी जगीशा कनौजिया ने सुप्रीम कोर्ट में “हैबियस कॉरपस” याचिका दाखिल की थी। याचिका में कहा गया था कि प्रशांत की गिरफ्तारी गैरकानूनी है और यूपी पुलिस ने इस संबंध में ना तो FIR के बारे में जानकारी दी है ना ही गिरफ्तारी के लिए कोई गाइडलाइन का पालन किया है। उन्हें दिल्ली में ट्रांजिट रिमांड के लिए किसी मजिस्ट्रेट के पास भी पेश नहीं किया गया। आपको बता दें कि शनिवार सुबह दिल्ली में उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा मंडावली स्थित उनके घर से हिरासत में लिया गया था।


 
 

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