सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि RTI बैकलॉग को ख़त्म करने के लिए केवल नौकरशाहों को ही सूचना आयुक्त के रूप में नियुक्त किया जाता है?
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को यह जानने की कोशिश की कि क्या केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) में RTI (सूचना का अधिकार) आवेदनों के बैकलॉग को ख़त्म करने के लिए सूचना आयुक्तों (Information commissioners) के रूप में केवल नौकरशाहों को नियुक्त किया जाता है?
न्यायाधीश ए के सीकरी और एस अब्दुल नजीर की पीठ RTI कार्यकर्ताओं अंजलि भारद्वाज, कोमोडोर लोकेश बत्रा (सेवानिवृत्त) और अमृता जौहरी द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में कहा गया था कि CIC में RTI आवेदनों की काफी संख्या थी क्योंकि सूचना आयुक्तों के पद खाली पड़ा हुए थे।
केंद्र के लिए अपील करते हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल पिंकी आनंद ने पीठ को बताया कि अब तक मुख्य सुचना आयुक्त और चार सूचना आयुक्त नियुक्त किए गए थे और दूसरों को नियुक्त करने की प्रक्रिया जारी थी।
कोर्ट ने पूछा कि सूचना आयुक्तों के पद के लिए 14 नामों की गयी सिफारिश में क्या सर्च कमेटी द्वारा अनुशंसित या सेवानिवृत्त नौकरशाहों के अलावा अन्य नाम थे?। ASG ने कहा कि सिफारिश में एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश का नाम शामिल है जबकि अन्य नौकरशाह थे।
कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं की आपत्ति केवल यह थी कि नौकरशाहों को काम मिल रहा था और उन्होंने पाया कि सर्च कमेटी में केवल नौकरशाह शामिल थे।
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