अध्ययन में पाया गया है कि पराली जलाने से भारत का आर्थिक नुकसान, स्वास्थ्य बजट का तीन गुना है 

Team Suno Neta Wednesday 6th of March 2019 10:33 AM
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नई दिल्ली: वैज्ञानिकों ने सोमवार को जारी एक अध्ययन में अनुमान लगाया है कि भारत के उत्तरी राज्यों में फसल अवशेषों को जलाने से तीव्र श्वसन संबंधी बीमारियाँ फैलती हैं, जिससे सालाना $30 बिलियन (210,000 करोड़ रूपए) का आर्थिक नुकसान होता है। यह आंकड़ा केंद्र के स्वास्थ्य बजट का तीन गुना है।

अध्ययन में यह भी अनुमान लगाया गया है कि प्रति वर्ष लगभग 50,000 करोड़ रूपए पटाखों के जलने से वायु प्रदूषण होने से आर्थिक नुकसान होता है।

भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका में अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों के अनुसार, उनका विश्लेषण फसल अवशेष (पराली) जलाने के स्वास्थ्य और आर्थिक लागत का आकलन दर्शाता है कि फसल अवशेष जलने के साथ क्षेत्रों में रहना, साथ ही साथ निकास मोटर वाहन और पटाखे उत्तरी राज्यों में श्वसन संबंधी बीमारियों के लिए प्रमुख जोखिम कारक हैं और इससे जोखिम तीन गुना बढ़ जाता है।

अध्ययन ने यह भी संकेत दिया कि हरियाणा में फसल जलने से श्वसन स्वास्थ्य बिगड़ गया। एक दिन में 100 से अधिक आग वाले जिलों में रहने वाले लोगों में तीव्र श्वसन संबंधी बीमारियों या उनके जलने के साथ होने वाली पीड़ाओं का अनुभव होने का खतरा तीन गुना अधिक था।


 
 

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