चुनावी तोहफा: असम में दुल्हनों के लिए सोना, मध्य प्रदेश में बेरोजगारों के लिए खैरात  

Team Suno Neta Thursday 7th of February 2019 10:57 AM
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नई दिल्ली: जैसे जैसे चुनाव नज़दीक आ रहा है राजनीतिक पार्टियों ने अपना मतलब साधने के लिए तरह तरह के हथकंडे अपनाना शुरू कर दिया है। केंद्र और राज्य सरकारें किसानों और बेरोजगारी को खैरात बाँटनी शुरू कर दी है। चाहे वह किसानों के कर्ज़े माफ़ करने की बात हो या न्यूनतम आय स्कीम यहाँ तक अब सोने को भी खैरात के तौर पर बांटने का फैसला किया गया है।

TOI की ख़बर के अनुसार भाजपा शासित असम में वित्तमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बुधवार को 5 लाख रुपये से कम वार्षिक आय वाले परिवारों की दुल्हनों के लिए सोना देने की पेशकश की जिसकी लागत 38,000 रुपये है। उन्होंने उन सभी लड़कियों के लिए "ई-बाइक" का वादा किया जो इंटरमीडिएट में प्रथम श्रेणी में पास करती हैं और चालू वित्त वर्ष के दौरान स्वीकृत सभी शिक्षा ऋणों पर 50,000 रुपये की एक बार की सब्सिडी की घोषणा की।

मध्य प्रदेश में गुरुवार को राजस्थान से एक कदम आगे बढ़कर 4,000 रुपये के मासिक बेरोजगारी भत्ते की घोषणा करने की उम्मीद है। राजस्थान ने 3,000-3,500 महीने देने का वादा किया था। मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार शहरी युवाओं के लिए 100 दिनों के काम की गारंटी देने वाली एक योजना भी शुरू करेगी। इसकी घोषणा मुख्यमंत्री ने गणतंत्र दिवस पर की थी। सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस सरकार बुजुर्गों के लिए सामाजिक सुरक्षा पेंशन दुगना करके 300 से 600 रुपये तक करेगी। इन तीनों फैसलों को मंगलवार को मुख्यमंत्री और वित्त विभाग ने मंजूरी दे दी।

इस साल लोकसभा चुनाव होना है। इसलिए केंद्र सरकार ने अंतरिम बजट पेश करते मध्यम वर्ग को खास करके लुभाने की कोशिश की। पिछले शुक्रवार को वित्तमंत्री ने मध्यम वर्ग को रियायतें देते हुए 5 लाख रुपये तक की आय वालों के लिए 100% टैक्स छूट की पेशकश की।

बुधवार को वाम-शासित केरल ने GST पर "बाढ़ उपकर" लगाने की अपनी योजना को टाल दिया। केरल में जमीन पर उपकर लगाने के लिए तर्क था कि इस तरह से पैसे का इस्तेमाल आपदा से हुए नुकसान की मरम्मत के लिए किया जाएगा। तेलंगाना में TRS की हालिया चुनावी सफलता ने इस विश्वास को मजबूत किया है कि किसानों के लिए न्यूनतम आय समर्थन वोट पाने में कारगर हो सकता है। कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में अपनी सफलता का श्रेय कुछ हद तक मध्य प्रदेश में कृषि ऋण माफी के अपने वादे को दिया। अभी तक ये साफ़ नहीं है कि लोकसभा चुनाव खत्म होने तक राज्य अपने बजट प्रस्ताव के साथ आगे बढ़ेगे या नहीं।

6,000 रुपये की वार्षिक कृषि आय समर्थन पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। कहा जा रहा है इससे राजकोषीय घाटा होगा जो अगले साल अधिक होने का अनुमान है। असंगठित क्षेत्र के लिए नरेंद्र मोदी सरकार की पेंशन योजना को 500 करोड़ रुपये का प्रारंभिक आवंटन है। कई राज्यों ने पहले ही किसानों के लिए राहत पैकेजों और छूटों की घोषणा की है। बेरोजगारी भत्ता एक और लोकप्रिय मुद्रा है।


 
 

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