उत्तर प्रदेश में कुंभ के कारण बंद हुई लेदर फैक्टरियां अब पश्चिम बंगाल हो रहीं हैं शिफ्ट
नई दिल्ली: प्रयागराज में कुंभ मेले के दौरान गंगा में गंगा में अपशिष्ट के निपटारे को रोकने के लिए इन लेदर फैक्टरियों को बंद करने का निर्देश जारी किया था। इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के मुताबिक कुंभ मेले के आयोजन और लेदर फैक्टरियों के बंद के कारण अब फैक्टरियां बंगाल में शिफ्ट हो रहीं हैं। कानपुर में कम से कम 12 लेदर फैक्टरियों को पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा राज्य में अपने कार्यों को स्थानांतरित करने के लिए भूमि आवंटित की गई है। यह भूमि बंगाल ग्लोबल बिजनेस समिट के दौरान आवंटन की गयी थी।
कानपुर में 400 और पड़ोसी जिले उन्नाव में 40 लेदर फैक्टरियां हैं। यूपी सरकार ने 15 दिसंबर, 2018, उन्नाव से मार्च 2019 तक प्रयागराज में कुंभ मेले के दौरान गंगा में अपशिष्ट निपटान को रोकने के लिए इन लेदर फैक्टरियों को बंद करने का निर्देश जारी किया था।
लगभग चार महीने पहले कानपुर के 80 उद्योगपतियों ने पश्चिम बंगाल सरकार को अपनी लेदर फैक्टरियों को स्थानांतरित करने के लिए जमीन के लिए आवेदन किया था। दो हफ्ते पहले 12 आवेदनों को मंजूरी दे दी गई थी और बचे हुए आवेदकों को बंगाल ग्लोबल बिजनेस समिट के दूसरे दिन शुक्रवार को आवंटन पत्र एकत्र करने के लिए कहा गया था।
उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा, “यह मालिकों पर निर्भर है कि वे अपना व्यवसाय कहाँ स्थापित करना चाहते है। वे जहां भी जाएंगे, उन्हें नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) और सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का पालन करना होगा।” उन्होंने आगे कहा कि राज्य सरकार हस्तक्षेप नहीं करेगी।
उत्तर प्रदेश लेदर इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के प्रवक्ता अशरफ रिजवान ने कहा: “लेदर फैक्टरियों के मालिकों ने पश्चिम बंगाल सरकार से उनके लिए एक सामान्य अपशिष्ट उपचार संयंत्र बनाने का भी अनुरोध किया था।” उन्होंने कहा, “हमने अपनी लेदर फैक्टरियों को बंगाल में स्थानांतरित करना चुना क्योंकि कोलकाता एक महानगरीय शहर है और यहाँ एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा भी है। कानपुर से माल का निर्यात करने के लिए हम बंदरगाह यात्रा के लिए लगभग 50,000 रुपये प्रति कंटेनर का भुगतान करते हैं। कोलकाता में समुद्र करीब है। श्रमिक भी आसानी से उपलब्ध हैं।”
लेदर फैक्टरियों के मालिकों ने दावा किया कि पिछले दो-ढाई साल से उनका कारोबार प्रभावित हो रहा था। उनका कहना था कि हम पर गंगा को प्रदूषित करने का झूठा आरोप लगाया गया है। इसलिए हमने दूसरे राज्य में शिफ्ट होने का फैसला किया। यूपी लेदर इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के उपाध्यक्ष इफ्तखार ने कहा कि इन लेदर फैक्टरियों में लगभग एक लाख लोग काम करते थे और बंद होने के बाद दूसरे राज्यों के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी घर लौट आए हैं।
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